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Zero Gravity Gym: अंतरिक्ष में क्यों हर रोज़ घंटों पसीना बहाते हैं अंतरिक्ष यात्री? इस तकनीक का करते हैं इस्तेमाल
Zero Gravity Gym: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) सुनने में किसी जिम जैसा नहीं लगता लेकिन अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए व्यायाम करना कोई विकल्प नहीं बल्कि जीवित रहने की ज़रूरत है.
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) सुनने में किसी जिम जैसा नहीं लगता लेकिन अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए व्यायाम करना कोई विकल्प नहीं बल्कि जीवित रहने की ज़रूरत है. धरती पर इंसानों ने हज़ारों वर्षों में गुरुत्वाकर्षण और वातावरण के अनुकूल खुद को ढाल लिया है. लेकिन अंतरिक्ष में, जहां सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) होता है, वहां शरीर पर वो प्राकृतिक दबाव नहीं पड़ता जो धरती पर चलता है. ऐसे में यदि व्यायाम न किया जाए तो अंतरिक्ष यात्री को धरती पर लौटने के बाद गंभीर शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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गुरुत्वाकर्षण की गैर-मौजूदगी के कारण शरीर की मांसपेशियों पर ज़रूरी दबाव नहीं बनता जिससे उनका उपयोग कम हो जाता है और वे कमजोर होने लगती हैं. ISS में हल्की सी पकड़ या धक्का लगाने भर से शरीर इधर-उधर तैरने लगता है जिससे सामान्य चलने-फिरने वाली मेहनत भी नहीं होती.
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छह महीने तक ISS में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों की मिनरल डेंसिटी में औसतन 14% तक गिरावट देखी गई है. कुछ मामलों में तो यह 30% तक रही जिससे भविष्य में फ्रैक्चर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. वापसी पर कई अंतरिक्ष यात्रियों को क्रॉनिक पीठ दर्द जैसी समस्याएं होती हैं जिनके कारणों और इलाज पर अभी शोध जारी है.
Published at : 09 Jun 2025 12:41 PM (IST)
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