एक्सप्लोरर
सावधान! घंटों Instagram Reels और YouTube Shorts देखना पड़ सकता है भारी, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
Instagram Reels: आज की डिजिटल दुनिया में TikTok, Instagram Reels और YouTube Shorts जैसे प्लेटफॉर्म्स का क्रेज़ इस कदर बढ़ गया है कि कई लोग दिन का बड़ा हिस्सा बस स्क्रॉलिंग में ही बिता देते हैं.

आज की डिजिटल दुनिया में TikTok, Instagram Reels और YouTube Shorts जैसे प्लेटफॉर्म्स का क्रेज़ इस कदर बढ़ गया है कि कई लोग दिन का बड़ा हिस्सा बस स्क्रॉलिंग में ही बिता देते हैं. चंद सेकेंड की ये वीडियो न सिर्फ टाइमपास बन गई हैं बल्कि धीरे-धीरे दिमाग और सोचने की क्षमता पर भी बुरा असर डाल रही हैं. हाल ही में सामने आई एक नई स्टडी में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं जो बताती हैं कि शॉर्ट वीडियो की लत हमें सोच-समझकर फैसले लेने से रोक रही है और आर्थिक नुकसान तक पहुंचा रही है.
1/7

इस रिसर्च को चीन की Tianjin Normal University के प्रोफेसर क्यांग वांग और उनकी टीम ने अंजाम दिया है, जो जर्नल NeuroImage में प्रकाशित हुई है. इस अध्ययन के मुताबिक जो लोग TikTok या Reels जैसे शॉर्ट वीडियो पर ज्यादा समय बिताते हैं उनकी निर्णय लेने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है. खासतौर पर उनके दिमाग में ‘लॉस एवर्जन’ यानी नुकसान से बचने की प्रवृत्ति कमजोर हो जाती है.
2/7

यह वो स्वाभाविक गुण होता है जो हमें जोखिम से बचने में मदद करता है. जैसे अगर कोई स्कीम 1,000 रुपये जीतने का वादा करे लेकिन 500 रुपये खोने का खतरा भी हो तो लॉस एवर्जन वाला व्यक्ति इस जोखिम से दूर रहेगा. लेकिन जो लोग शॉर्ट वीडियो की आदत में फंस चुके हैं, वे अक्सर ऐसे जोखिम उठाने से नहीं कतराते चाहे उसमें नुकसान की संभावना ज्यादा ही क्यों न हो.
3/7

इन प्लेटफॉर्म्स का सबसे बड़ा आकर्षण है 'इंस्टेंट रिवॉर्ड सिस्टम' यानी एक वीडियो देखो, थोड़ा मजा मिले, फिर अगला वीडियो. यह सिलसिला यूज़र को लगातार डोपामिन की डोज़ देता रहता है जिससे दिमाग को धीमे और सोच-समझकर मिलने वाले सुख की आदत छूट जाती है. इसका सीधा असर ये होता है कि व्यक्ति जीवन के बड़े और ज़रूरी फैसले भी जल्दीबाज़ी में लेने लगता है बिना ज्यादा विचार किए.
4/7

यह समस्या सिर्फ दिमाग तक सीमित नहीं है बल्कि इसका असर पूरी दिनचर्या और जीवनशैली पर पड़ता है. लगातार वीडियो देखने से ध्यान भटकने लगता है और फोकस करना मुश्किल हो जाता है. कई यूज़र्स की नींद तक प्रभावित होती है क्योंकि "बस एक वीडियो और" देखते-देखते रातें कट जाती हैं. यही नहीं, अधिक समय तक शॉर्ट वीडियो देखने से एंग्ज़ायटी, डिप्रेशन और आत्मविश्वास में गिरावट जैसी मानसिक समस्याएं भी सामने आने लगी हैं.
5/7

स्टडी में यह भी बताया गया है कि चीन में औसतन एक व्यक्ति रोज़ाना 151 मिनट शॉर्ट वीडियो पर खर्च करता है और 95% से अधिक इंटरनेट यूज़र्स किसी न किसी रूप में इनसे जुड़े हुए हैं. वैज्ञानिकों ने इस लत की तुलना जुए और नशे की लत से की है क्योंकि सभी में एक जैसी प्रवृत्ति होती है: तुरंत सुख की तलाश और लंबे समय के नुकसान की अनदेखी.
6/7

अगर आप खुद को इस आदत से बचाना चाहते हैं तो स्क्रीन टाइम पर निगरानी रखना शुरू करें. हर 20–30 मिनट पर ब्रेक लें और अनियंत्रित स्क्रॉलिंग से बचें. कोशिश करें कि किताबें पढ़ें, एक्सरसाइज़ करें या अपनी किसी हॉबी में समय बिताएं. सप्ताह में कम से कम एक दिन फोन से दूरी बनाकर डिजिटल डिटॉक्स भी ज़रूर करें.
7/7

भले ही ये शॉर्ट वीडियो महज़ कुछ सेकंड की हों, लेकिन इनका असर हमारे दिमाग, नींद, फोकस और यहां तक कि आर्थिक निर्णयों पर भी गहरा पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि इनका इस्तेमाल सोच-समझकर किया जाए और इसे एक आदत नहीं, बस मनोरंजन तक सीमित रखा जाए.
Published at : 11 Jul 2025 01:58 PM (IST)

और देखें
Advertisement
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
इंडिया
टेलीविजन