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Independence Day 2022: आजादी के दीवानों का तीर्थ है जबलपुर का सेंट्रल जेल, नेताजी की याद में बनाया गया स्मारक
Subhas Chandra Bose Museum: साल 1933 और 1934 के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दो बार जबलपुर जेल में बंद रखा गया था. इसलिए यहां उनसे जुड़ी तमाम चीजें आज भी मौजूद है.

जबलपुर सेंट्रल जेल
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Happy Independence Day 2022: जबलपुर (Jabalpur) का सेंट्रल जेल (Central Jail) केवल खूंखार कैदियों के रहने की जगह ही नहीं बल्कि आजादी के दीवानों का तीर्थ स्थल भी है. यहां आजादी की लड़ाई के दौरान तमाम स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को भी अंग्रेजों ने अपनी कैद में रखा था.साल 1933 और 1934 के दौरान नेताजी को दो बार जबलपुर जेल में बंद रखा गया था.
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कहते हैं कि जबलपुर की सेंट्रल जेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिए अंग्रेजों की पसंदीदा जेल थी. ब्रिटिश शासनकाल में जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस को सजा सुनाई गई थी, तब उन्हें यहीं लाया गया था.
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नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इस जेल में लाए गए थे और फिर 16 जुलाई 1932 को उन्हें मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था.यानी कि यहां नेताजी को 209 दिन रखा गया था.इसके बाद नेताजी को अंग्रेजों ने 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में रखा और फिर 22 फरवरी 1933 को मद्रास भेज दिया था.
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यहां बता दें कि, स्वाधीनता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अब जबलपुर के लोग करीब से जान पाते है.जबलपुर के सेंट्रल जेल में मध्य प्रदेश का पहला नेता जी पर आधारित एक संग्रहालय बनाया गया है,जहां केवल नेताजी से जुड़ी उन तमाम चीजों को सहेज कर रखा गया है जो कभी नेताजी ने कारावास के दौरान इस्तेमाल की थी.
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जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के मुताबिक 23 जनवरी 2022 यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती के मौके पर सेंट्रल जेल में म्यूजियम आम लोगों के खोल दिया गया था.खास बात यह है कि इस म्यूज़ियम को बनाने में खुद कैदियों ने ही इंजीनियर और कारपेंटर की भूमिका निभाई.चित्रकारी से लेकर गार्डन बनाने तक का काम कैदियों ने किया.यहां तक की सुभाष वार्ड के अंदर जहां नेताजी बंद थे, उसे भी नई साज-सज्जा के साथ एक नया स्वरूप दिया गया.
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जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था. सन 1931 और 1933 में अंग्रेजों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को इसी जेल में लाकर बंद किया था,जहां वो एक बार 6 माह और दुबारा एक सप्ताह तक कैद में रहे.
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13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था. इस जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था,वो भी मौजूद है.
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इसके आलावा चक्की-हंटर के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है,जो आम लोग भी अवलोकन कर सकते है.जिस वार्ड में नेताजी बंद थे यानि सुभाष वार्ड को अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है.
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सुभाष वार्ड में तीन नंबर पट्टी पर नेताजी रहा करते थे.जेल में आने से पहले उनका वारंट ,उनका एडमिशन याने दाखिला फॉर्म भी इस संग्रहालय में सहेज कर रखा गया है.अमूमन पहले विशेष मौके पर ही शहरवासी सुभाष वार्ड को देख पाते थे लेकिन अब निरंतर लोग इस वार्ड को म्यूजियम के रूप में देख सकते है.
Published at : 10 Aug 2022 11:10 AM (IST)
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