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कैंसर का खतरा करना है दूर तो साल में एक बार जरूर कराएं ये टेस्ट, डॉक्टर ने खुद दी पूरी जानकारी
दुनियाभर के लाखों लोग कैंसर से प्रभावित हैं. WHO की मानें तो 2020 में ग्लोबल लेवल पर करीब 1.9 करोड़ नए कैंसर केसेज दर्ज किए गए. इसी साल करीब एक करोड़ लोगों ने इस खौफनाक बीमारी से अपनी जान गंवा दी.
भारत में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यहां ब्रेस्ट, सर्वाइकल, कोलोरेक्टल, फेफड़े और मुंह के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा कॉमन हैं. अहम बात यह है कि मेडिकल सेक्टर में ऐसे तमाम टेस्ट मौजूद हैं, जिनसे शुरुआती स्टेज में ही कैंसर का पता लगा सकते हैं. डॉ. तरंग कृष्णा ने बताया कि कैंसर को रोकने के लिए हर साल कौन-से टेस्ट कराने चाहिए.
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कैंसर स्क्रीनिंग का मकसद बीमारी को शुरुआती चरण में या उससे पहले पकड़ना है. नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट (NCI) के अनुसार, शुरुआती स्टेज में मिले कैंसर के मामले में जीवित रहने की दर करीब 80 पर्सेंट होती है, जबकि एडवांस्ड स्टेज में जीवित रहने की दर महज 15 फीसदी रह जाती है. अमेरिकन कैंसर सोसायटी (ACS) की 2025 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्क्रीनिंग की मदद से पिछले 45 साल में ब्रेस्ट, सर्वाइकल, कोलोरेक्टल, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली 59 लाख मौतों को रोका गया है.
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भारत सरकार ने 2016 में नेशनल कैंसर स्क्रीनिंग फ्रेमवर्क शुरू किया, जिसमें 30 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए माउथ, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की अनिवार्य स्क्रीनिंग की सिफारिश की गई है. ये कैंसर भारत में 34 पर्सेंट से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.
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यूएस प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स (USPSTF) और भारतीय एक्सपर्ट्स के हिसाब से ब्रेस्ट कैंसर की आशंका होने पर दो साल में एक बार मैमोग्राफी जरूर कराना चाहिए. 40 से 74 साल उम्र की महिलाओं को यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. अगर आपके परिवार कैंसर की हिस्ट्री है तो यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
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अगर किसी को सर्वाइकल कैंसर की आशंका है तो पैप स्मीयर और HPV टेस्ट हर तीन साल में एक बार कराना चाहिए. 21-29 वर्ष की महिलाओं को हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए. 30-65 वर्ष की महिलाओं के लिए तीन ऑप्शन हैं. हर 3 साल में पैप टेस्ट, हर 5 साल में HPV टेस्ट के साथ पैप टेस्ट, या हर 5 साल में केवल HPV टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
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कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी और स्टूल टेस्ट कराना जरूरी होता है. 45 वर्ष के पुरुषों और महिलाओं को कोलोनोस्कोपी हर 10 साल में या फेकल इम्यूनोकेमिकल टेस्ट (FIT) हर साल कराना चाहिए. 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए यह उनकी सेहत पर निर्भर करता है.
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फेफड़े के कैंसर के लिए लो-डोज CT स्कैन हर साल कराना चाहिए. 50-80 वर्ष के जो लोग स्मोकिंग करते हैं 15 साल पहले छोड़ चुके हैं, उन्हें हर साल लो-डोज CT स्कैन की सलाह देता है. यह टेस्ट शुरुआती चरण में फेफड़े के कैंसर का पता लगा सकता है.
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50 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों को नियमित रूप से PSA टेस्ट कराना चाहिए. इससे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम होता है. दरअसल, बुजुर्ग पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है. जागरूकता की कमी के चलते इसका पता देर से चलता है.
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ज्यादा गोरी स्किन है या धूप में काफी ज्यादा रहने वालों को स्किन कैंसर का खतरा होता है. ऐसे लोगों को हर साल स्किन टेस्ट कराना चाहिए.
Published at : 17 Jun 2025 05:07 PM (IST)
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