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थोड़ी सी कंजूसी से हुई टी-बैग की खोज, छोटा-सा आइडिया कैसे बना बिजनेस मॉडल?
कई लोग आजकल आसान तरीके से इंस्टेंट चाय बनाने के लिए टी बैग का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे हुई थी टी बैग की खोज.
भारत में सबसे ज्यादा लोग चाय पीते है और ये यहां की फेवरेट ड्रिंक भी है. ठंडे इलाकों से लेकर गरम इलाकों तक, सर्दी हो या गर्मी, सुबह हो या शाम चाय के बिना ये अब अधूरे से हैं. ऐसे में ये चाय अधूरी होती है टी बैग के बिना. लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि इतनी सी पोटली में चाय भरने का ख्याल किसे आया होगा? आइए जानते हैं कि कैसे हुई टी बैग की खोज.
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साल 1904 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में थॉमस सुलिवन नाम के एक चाय के व्यापारी रहते थे. वह अपने कस्टमर्स को एक छोटी सी रेशम की थैली में अपनी चाय के सैंपल्स भेजते थे.
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वह इसे छोटी सी पोटली में इसलिए भेजते थे ताकि कम से कम चाय में उनका काम चल जाए और उन्हें सैंपल्स भेजते वक्त नुकसान भी न हो. साथ ही, ये पोटलियां चाय पत्ती को बिखरने से भी बचाती थी.
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सुलिवन सोचते थे कि कस्टमर्स इस थैली से चाय को छलनी में डालकर इसका इस्तेमाल करेंगे. लेकिन सब कुछ उनकी सोच से बिल्कुल उल्टा हुआ.
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कस्टमर्स ने बिना बैग खोले ही चायपत्ती को बैग समेत पानी में डाल दिया और देखा कि चाय सही से बन भी रही है. उन्हें लगा कि ये अनोखा आइडिया थॉमस का ही है, जो उन्हें बेहद पसंद आया.
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इस तरह एक छोटी सी गलती से हुई टी बैग की खोज. थॉमस को जैसे ही इस बारे में पता चला उन्होंने अपना दिमाग चलाया और इस रेशम की थैली को बदलकर गॉज की थैली बनानी शुरू कर दी और इस तरह ये एक बिजनेस मॉडल बन गया.
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क्या आप जानते हैं कि ये टी बैग की खोज थी, आविष्कार नहीं क्योंकि इसका आविष्कार साल 1901 में अमेरिका की दो महिलाओं ने किया था, जिनका नाम था रोबर्टा सी. लॉसन और मैरी मैकलेरन.
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लॉसन और मैरी ने इस टी लीफ होल्डर के लिए पेटेंट फाइल किया था. लेकिन उन्हें ये उस समय न मिलकर 1903 में मिला. ऐसे में टी बैग का आविष्कार इन्होंने किया पर उसका बाजारीकरण थॉमस सुलिवन की देन है.
Published at : 31 Oct 2025 09:51 AM (IST)
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