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भारत के किन राज्यों में अब भी लोग निकालते हैं लॉटरी, जानें इससे कैसे होती है कमाई?
एक निश्चित तारीख पर लॉटरी नंबरों की घोषणा की जाती है, जिन लोगों के नंबर मिलते हैं उन्हें लॉटरी का पुरस्कार दिया जाता है. यह पूरी तरह से एक रेंडम प्रोसेस होता है.
आपने बहुत लोगों से सुना होगा कि फलाने की तो लॉटरी लग गई. कई बार इस वाक्य को एक कहावत को रूप में प्रयोग किया जाता है तो कई बार असलियत में. लॉटरी मतलब-ढेर सारा पैसा.
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जैसे किसी व्यक्ति को अचानक से कहीं से बहुत सारा पैसा मिल जाए तो कहा जाता है कि उसकी तो लॉटरी लग गई, लेकिन कुछ जगह लॉटरी असल में भी खेली जाती है. इसमें बहुत सारे लोग भाग लेते हैं. टिकटों की खरीद-फरोख्त होती है और फिर निकलता है किसी एक नंबर की लॉटरी.
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भारत में लॉटरी रेगुलेशन एक्ट (1998) लागू है. यह एक्ट साफ तौर पर लॉटरी खेलने पर प्रतिबंध लगाता है. हालांकि, बहुत से राज्य ऐसे हैं, जहां सरकार की ओर से लॉटरी का आयोजन किया जाता है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
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दरअसल, लॉटरी रेगुलेशन एक्ट (1998) में राज्य सरकारों को एक छूट दी गई है. इसके तहत राज्य सरकारें चाहें तो कुछ नियम व शर्तों के साथ लॉटरी का आयोजन कर सकती हैं. यानी देश कुछ राज्य ऐसे हैं जहां लॉटरी को कानूनी मान्यता मिली हुई है और पूरा आयोजन सरकार की देखरेख में होता है.
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आपने लॉटरी की सबसे ज्यादा खबरें केरल राज्य की सुनी होंगी. यहां स्त्री शक्ति, कारुण्या, निर्मल, अक्षय, पौर्णमी, विन विन लॉटरी का आयोजन होता है, जिसमें करोड़ों का इनाम दिया जाता है. हालांकि, केरल के अलावा भी कुछ राज्य हैं, जहां लॉटरी खेली जाती है.
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भारत के जिन राज्यों में लॉटरी खेली जाती है उनमें केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, वेस्ट बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं.
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लॉटरी की प्रक्रिया के तहत लोग टिकट खरीदने हैं, इसके बाद एक निश्चित तारीख पर लॉटरी नंबरों की घोषणा की जाती है, जिन लोगों के नंबर मिलते हैं उन्हें लॉटरी का पुरस्कार दिया जाता है. यह पूरी तरह से एक रेंडम प्रोसेस होता है और नंबर निकलना या ना निकलना टिकट खरीदने वालों के भाग्य पर निर्भर करता है.
Published at : 17 Jul 2025 02:37 PM (IST)
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