वो भारतीय महिला, जिसने पाकिस्तान में की शादी और बन गई जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस
PM नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जॉर्डन की दो दिवसीय यात्रा की थी, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया और कॉउन प्रिंस ने उन्हें खुद अपनी कार से उनके होटल तक पहुंचाया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते जॉर्डन की यात्रा पर गए, जिसके कारण भारत और हाशमी राजशाही वाले जॉर्डन के बीच रिश्तों पर एक बार फिर से सभी का ध्यान खींचा है. पीएम मोदी ने सोमवार (15 दिसंबर, 2025) को अम्मान स्थित अल-हुसैनिया पैलेस में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला II बिन अल हुसैन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की, लेकिन आज हम आपको उस भारतीय महिला के बारे में बताएंगे जिसकी पाकिस्तान में शादी हुई और उसके बाद वह जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस तक बन गई.
कौन है वो भारतीय महिला?
आज हम जिस भारतीय महिला की बात कर रहे हैं, उनका नाम प्रिंसेंस सरवत एल. हसन है, जिनका जॉर्डन के शाही परिवार के साथ भारतीय उपमहाद्वीप से एक रोचक और गहरा संबंध भी है. प्रिंसेस सरवत एल. हसन का जन्म साल 1947 में बिट्रिश काल में देश के बंटवारे के कुछ ही हफ्ते पहले कोलकाता में एक प्रभावशाली बंगाली मुस्लिम परिवार सुहरावर्दी परिवार में हुआ था. उनका मूल नाम सरवत इकरामुल्लाह है. उनके पिता मोहम्मद इकरामुल्लाह भारतीय सिविल सेवा (ICS) के अधिकारी थे और बाद में वे पाकिस्तान के पहले विदेश सचिव बने. उनकी मां शाइस्ता सुहरावर्दी इकरामुल्लाह पाकिस्तान की पहली महिला सांसदों में से एक थीं और उन्होंने मोरक्को में राजदूत के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं.
भारत में जन्म, पाकिस्तान में शादी
सरवत की पढ़ाई ब्रिटेन में हुई और उनकी परवरिश उनके अपने पिता की यूरोप और दक्षिण एशिया में रही राजनयिक पोस्टिंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय माहौल हुई. वहीं, लंदन में राजनयिक कार्यक्रमों में उनकी पहली मुलाकात जॉर्डन के हाशमी वंश के प्रिंस हसन बिन तलाल से हुई.
इसके बाद 28 अगस्त, 1968 को सरवत इकरामुल्लाह ने पाकिस्तान के कराची में प्रिंस हसन बिन तलाल से शादी कर ली. वह शादी समारोह पाकिस्तानी, जॉर्डनियन और पश्चिमी परंपराओं का एक अनोखा संगम था. शादी के बाद कपल अम्मान में बस गए और उनके चार बच्चे प्रिंसेस रहमा, सुमाया और बदिया और एक प्रिंस राशिद हुए.
31 साल तक रहीं जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस
सरवत एल. हसन साल 1968 से 1999 तक जॉर्डन की क्राउन प्रिंसेस रहीं. इस दौरान उन्होंने शिक्षा, सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए. इसके बाद साल 1999 में किंग हुसैन ने अपने बेटे प्रिंस अब्दुल्ला को उत्तराधिकारी घोषित किया, जिसके साथ प्रिंस हसन का क्राउन प्रिंस के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















