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इन 5 मसालों की खुशबू से भारत की ओर खींचे चले आए थे अंग्रेज, जानें क्यों थी यूरोप में इनकी इतनी डिमांड?
इनमें से कई मसाले इतने महंगे होते थे कि इनका इस्तेमाल स्टेटस सिंबल के तौर पर भी होने लगा था.डचों के साथ मुकाबला करते हुए इनके कारोबार के लिए पैर जमाने में अंग्रेजों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
इन 5 मसालों की खुशबू से भारत की ओर खींचे चले आए थे अंग्रेज, जानें क्यों थी यूरोप में इनकी इतनी डिमांड?
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अंग्रेजों को जायफल इसलिए इतना ज्यादा पसंद क्योंकि इसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने और दवाओं के अलावा, मीट को प्रिजर्व करने के लिए भी किया जाता था. इसे मिठाइयों के साथ-साथ पुडिंग, सॉस और यहां तक कि शराब में भी इस्तेमाल किया जाने लगा. बांदा द्वीपों से मिलने वाले जायफल के पौधे और बीज के कारोबार में कई सौ गुना मुनाफा होता था, लेकिन पुर्तगालियों के नियंत्रण के चलते अंग्रेजों तक इसकी पहुंच सीमित थी. जायफल को लेकर पुर्तगालियों और दूसरे कारोबारियों की चाहत को देखते हुए अंग्रेजों में भी इसे हासिल करने की प्रतिस्पर्धा बढ़ी और इसके पीछे-पीछे वे खुद भारत की ओर रवाना हो गए.
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पश्चिमी घाट से इलायची भारतीय बंदरगाहों से होते हुए यूरोप पहुंचा, जहां इसकी खुशबू, दवा और मिठाइयों में इस्तेमाल के लिए बहुत कद्र की जाती थी. दिखने में बेहद छोटा, लेकिन असरदार और खुशबूदार इस मसाले को पुर्तगालियों ने ही भारत से यूरोप में पहुंचाया था. 17वीं शताब्दी में अंग्रेज भी ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से इसका बड़े पैमाने पर व्यापार करने लगे और मुनाफा कमाने लगे. इसी के साथ इलाचयी की डिमांड धीरे-धीरे पूरे यूरोप में बढ़ने लगी और यह वहां की शाही रसाई के साथ-साथ आम घरों का भी हिस्सा बन गया.
Published at : 15 Dec 2025 01:31 PM (IST)
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