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मोक्षदा एकादशी 2025 पर लगेगा भद्रा का साया! जानें व्रत की सही तिथि, पूजा-विधि और जरूरी नियम
Mokshada Ekadashi 2025: इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025, सोमवार के दिन रखा जाएगा. ऐसे में इस दिन भाद्रा का भी साया लग रहा है. जानिए भद्राकाल में पूजा करने की विधि और नियम?
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी 2025
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एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि आती है. इन्हीं एकादशी तिथियों में से एक मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी तिथि है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस पवित्र इस पवित्र तिथि पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीत का ज्ञान दिया था. इसलिए इसे मुक्तिदायी दिन के रूप में देखा जाता है.
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इस दिन पूजा और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.हालांकि इस साल मोक्षदा एकादशी के मौके पर भाद्रा का साया रहने वाला है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी तिथि की तारीख, शुभ मुहूर्त, मंत्र और विशेष उपायों के बारे में.
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हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी 30 नवंबर की रात 9 बजकर 29 मिनट से लेकर 1 दिसंबर 2025 की शाम 7 बजकर 1 मिनट तक रहने वाला है. वही उदिया तिथि को ध्यान में रखते हुए इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025, सोमवार को रखा जाएगा.
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इस वर्ष मोक्षदा एकादशी तिथि पर सुबह 8 बजकर 20 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 1 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा. यह भद्रा पृथ्वी लोक पर लगेगा. भद्राकाल के दौरान पूजा पाठ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है.
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मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्ममुहू्र्त में स्नान के बाद पीले वस्त्र को धारण करें और इसके बाद विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें. उन्हें पीले रंग के पुष्प, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. श्रीकृष्ण के मंत्रों के साथ पूजा करें और गीता का पाठ जरूर करें. इसके अलावा मोक्षदा एकादशी के दिन जरूरतमंदों को भोजन का दान जरूर करें.
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इसके अलावा मोक्षदा एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन करने से बचें. रात को सोने से पहले भगवान हरि के नामों का जाप करें. व्रत के दौरान अपने गुस्से पर नियंत्रण करें. शाम की पूजा के बाद फलाहार करें. भूलकर भी चावल को न खाएं.
Published at : 22 Nov 2025 05:36 PM (IST)
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