फारूख अब्दुल्ला की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता पर SC ने लगाया 50 हज़ार का हर्जाना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार से अलग राय रखना राजद्रोह नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार का हर्जाना भी लगाया है.याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया था कि फारुख अब्दुल्ला ने चीन की मदद से जम्मू-कश्मीर में 370 बहाल करने की बात कही थी.

नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपना समय बर्बाद करने के लिए 50 हज़ार रुपए का हर्जाना भी लगाया. याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि फारूख ने चीन की मदद से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने की बात कही थी. लेकिन सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता साबित नहीं कर पाए कि फारूख ने वाकई ऐसा कहा था.
वडोदरा के विश्व गुरु इंडिया विज़न ऑफ सरदार पटेल नाम की संस्था के सचिव रजत शर्मा और गाज़ियाबाद के डॉ. नेह श्रीवास्तव की साझा याचिका में 13 अक्टूबर को दिए गए फारूख अब्दुल्ला के एक बयान का हवाला दिया गया था. इस बयान में फारूक ने जम्मू-कश्मीर को 2 हिस्सों में बांटने और राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने पर निराशा जताई थी. फारूख ने राज्य के विशेष दर्जे को चीन के समर्थन की बात कही थी. साथ ही यह भी कहा था कि पीएम चीन के राष्ट्रपति को भारत में अपने साथ दोस्त की तरह घुमा चुके हैं. कभी चीन के समर्थन से अनुच्छेद 370 और 35A बहाल होगा.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील शिव सागर तिवारी जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच के सामने पेश हुए. उन्होंने फारूख के बयान को पढ़ा. लेकिन जज इस बात से आश्वस्त नहीं हुए कि इस मामले में सरकार को IPC 124A के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा जा सकता है. बेंच ने माना कि इस बयान में चीन या पाकिस्तान से मदद मांगने की बात नहीं कही गई है.
जस्टिस कौल ने कहा- किसी विषय पर सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं होता. वकील ने आगे अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन जजों ने याचिका खारिज. कोर्ट ने अपना समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता रजत शर्मा और नेह श्रीवास्तव पर 50 हज़ार रुपए का हर्जाना भी लगाया.
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