खुल गया भारत का सबसे लंबा ग्लास स्काईवॉक, पहाड़ों और समुद्र का दिखेगा रोमांचक नजारा
Andhra Pradesh News: विशाखापत्तनम के कैलाशगिरी में 55 मीटर लंबा भारत का सबसे बड़ा ग्लास स्काई वॉक ब्रिज शुरू हो गया है. 7 करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज का उद्घाटन सांसद भरत ने किया.

Visakhapatnam News: आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में बने बहुप्रतीक्षित विजाग ग्लास ब्रिज का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है. 1 दिसंबर को टीडीपी सांसद भरत ने कैलाशगिरी में बने इस स्काई वॉक ब्रिज का उद्घाटन किया. उनके साथ VMRDA कमिश्नर तेज भरत, मेयर पीला श्रीनिवास राव, टीडीपी विधायक वेलगापुडी रामकृष्ण बाबू सहित कई अधिकारी मौजूद थे. उद्घाटन के बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया.
विजाग सांसद भरत ने ब्रिज की शुरुआत की
इस ग्लास ब्रिज का निर्माण काफी समय पहले पूरा हो गया था, लेकिन उद्घाटन में लगातार देरी होती रही. पहले इसे 15 अगस्त तक तैयार करने की योजना थी, लेकिन निर्माण कार्य में देरी के कारण यह सितंबर में पूरा हुआ. इसके बाद भी ब्रिज नहीं खोला गया क्योंकि प्रबंधकों की इच्छा थी कि इसका उद्घाटन मंत्री लोकेश के हाथों हो. लोकेश व्यस्त रहने की वजह से समय नहीं दे पाए, इसलिए बाद में उनके सुझाव पर विजाग सांसद भरत ने ब्रिज की शुरुआत की.
भारत का सबसे बड़ा ब्रिज - कैंटी-लीवर ग्लास
यह ब्रिज भारत का सबसे बड़ा कैंटी-लीवर ग्लास ब्रिज माना जा रहा है. दोनों तेलुगु राज्यों के लोग इसे लेकर काफी उत्साहित हैं. यह ब्रिज कैलाशगिरी पहाड़ी के किनारे बनाया गया है. इस पर चलते हुए पर्यटक ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, खाई जैसी गहरी घाटियां, हरे-भरे जंगल और विशाल समुद्र जैसे खूबसूरत नजारे एक ही जगह से देख सकते हैं. इसी वजह से यह विजाग का बड़ा आकर्षण बनने जा रहा है.
ब्रिज के निर्माण में आया 7 करोड़ रुपये खर्च
इस ग्लास ब्रिज के निर्माण पर कुल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसे PPP मॉडल के तहत बनाया गया है. इसकी लंबाई 55 मीटर है, जो देश में मौजूद अन्य ग्लास ब्रिजों से कहीं अधिक है. केरल में बने एक ग्लास ब्रिज की लंबाई 38 मीटर है, जबकि मिजोरम के आइजोल स्काई वॉक की लंबाई केवल 10 मीटर है. इस तरह विशाखापत्तनम का स्काई वॉक ब्रिज इन सभी से बड़ा और मजबूत है. यहां से पहाड़ों औऱ समुद्र का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा.
कहा जा रहा है कि यह ब्रिज तूफानों के दौरान भी सुरक्षित रहेगा. इसे इतनी मजबूती से बनाया गया है कि 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकतीं. हाल ही में आए मोंथा तूफान के दौरान भी यह मजबूत खड़ा रहा.
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Source: IOCL






















