शास्त्रों के अनुसार, आरती की थाली को घड़ी की दिशा में कुल 14 बार घुमाना चाहिए। इसमें चरणों के आगे 4 बार, नाभि के सामने 2 बार और मुख भाग पर 1 बार घुमाना शामिल है।
Aarti Mahatv: क्या आरती की दिशा बदल देती है ऊर्जा का प्रवाह? जानें वैज्ञानिक और धार्मिक रहस्य
Aarti Mahatv: सनातन धर्म में भगवान की पूजा-पाठ पूरे विधि-विधान से किए जाने का विधान है. जब भी मंदिर में पुजारी द्वारा आरती कि जाती है, तब वे पूजा की थाल को दक्षिणावर्त दिशा की ओर घुमाते हैं.

Aarti Mahatv: हिंदू धर्म में भगवान की आरती का खास महत्व है. जब भी मंदिरों में पूजा करते समय पुजारी आरती करते हैं, तब वे पूजा की थाली को हमेशा दक्षिणावर्त यानी घड़ी की दिशा में घुमाते हैं. इसके पीछे धार्मिक परंपरा के साथ-साथ आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपा है . कहा जाता है कि आरती को सही दिशा और गति में घुमाने से सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है.
प्राकृतिक लय के साथ घुमाई जाती है आरती
हिंदू संस्कृति में आरती को दक्षिणावर्त घुमाने को प्रकृति के क्रम से जोड़ा गया है. जिस तरह पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, सूर्य भी उदय होता है और अस्त होता है और घड़ी भी इसी दिशा में बढ़ती है. इसी वजह से आरती को भी प्राकृतिक लय के साथ ही घुमाया जाता है. जो ब्रह्मांड की गति को मन, ऊर्जा और पूजा से जोड़ने का तरीका माना गया है.
ऐसा भी कहा जाता है कि विपरीत दिशा में आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है.
दाहिना भाग होता है पवित्र
हिंदू परंपरा में शरीर का दाहिना भाग विशेष रूप से शुभ माना गया है. इसी कारण मंदिरों में परिक्रमा हमेशा दाहिनी दिशा में की जाती है. पूजा के समय प्रसाद, जल, पुष्प या आशीर्वाद, सब कुछ दाहिने हाथ से ही अर्पित किया जाता है.
आरती भी जब दक्षिणावर्त घुमाई जाती है, तो इसका अर्थ होता है कि भगवान भक्त के दाहिने पक्ष में स्थित हैं, जो आदर और समर्पण का प्रतीक है.
सकारात्मक ऊर्जा जगाने की क्रिया
आरती केवल दीपक घुमाने की क्रिया भर नहीं है, बल्कि यह पूरे मंदिर में दिव्य ऊर्जा जगाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है. माना जाता है कि जब दीपक को दक्षिणावर्त घुमाया जाता है, तो सकारात्मक ऊर्जा वातावरण में समान रूप से फैलती है.
भक्त जब आरती की ज्योति को हाथों से स्पर्श कर आंखों पर लगाते हैं, तो वह दिव्य ऊर्जा और आशीर्वाद उनके भीतर ग्रहण होती हैं.
किस तरह घुमाए आरती की थाली
शास्त्रों में आरती की एक विशेष विधि भी बताई गई है. थाली को घड़ी की दिशा में कुल 14 बार घुमाना चाहिए. शुरू में चरणों के आगे 4 बार, नाभि के सामने 2 बार और मुख भाग पर 1 बार. यह क्रम 14 लोकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक माना जाता है.
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Frequently Asked Questions
आरती की थाली को किस विधि से घुमाना चाहिए?
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