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2026 में 24 एकादशी तिथियां, जानें क्यों एकादशी व्रत यज्ञ से भी ज्यादा फलदायी माना गया?

Ekadashi Dates 2026: हिंदू धर्म में एकादशी के तिथियों का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से जीवन की समस्त समस्याओं से छुटकारा मिलता है. साल 2026 में कितनी एकादशी तिथि?

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Ekadashi tithi 2026: हिंदू धर्म में एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति इस लोक में समस्त सुख भोगकर मृत्य के बाद स्वर्ग में स्थान पाता है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि, ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद।

एक साल में 24 एकादशी तिथियां

पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है।

हिंदू धर्म व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। एकादशी व्रत का भी सभी व्रत में विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस तरह से साल में 24 एकदशी पड़ती हैं। 

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है।  

अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है। एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सर्वोच्च माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति सच्ची श्राद्धा और भक्ति से इस व्रत को करते हैं उसकी सभी परेशानियों से उसे छुटकारा मिलता है। साल भर में आने वाली सभी एकादशियों का फल अलग-अलग मिलता है।

यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है।

पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती। पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है।

कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है।

एकादशी व्रत का महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक संस्कृति में प्राचीन काल से ही योगी और ऋषि इन्द्रिय क्रियाओं को भौतिकवाद से देवत्व की ओर मोड़ने को महत्व देते आ रहे हैं। एकादशी का व्रत उसी साधना में से एक है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी में दो शब्द होते हैं एक (1) और दशा (10)।

दस इंद्रियों और मन की क्रियाओं को सांसारिक वस्तुओं से ईश्वर में बदलना ही सच्ची एकादशी है। एकादशी का अर्थ है कि हमें अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना चाहिए। मन में काम, क्रोध, लोभ आदि के कुविचार नहीं आने देने चाहिए। एकादशी एक तपस्या है जो केवल भगवान को महसूस करने और प्रसन्न करने के लिए की जानी चाहिए।

एकादशी व्रत 2026

  • षटतिला एकादशी- 14 जनवरी 2026
  • जया एकादशी - 29 जनवरी 2026
  • विजया एकादशी - 13 फरवरी 2026
  • आमलकी एकादशी - 27 फरवरी 2026
  • पापमोचिनी एकादशी - 15 मार्च 2026
  • कामदा एकादशी - 29 मार्च 2026
  • वरुथिनी एकादशी - 13 अप्रैल 2026
  • मोहिनी एकादशी - 27 अप्रैल 2026
  • अपरा एकादशी - 13 मई 2026
  • पद्मिनी एकादशी - 27 मई 2026
  • परम एकादशी - 11 जून 2026
  • निर्जला एकादशी - 25 जून 2026
  • योगिनी एकादशी - 10 जुलाई 2026
  • देवशयनी एकादशी - 25 जुलाई 2026
  • कामिका एकादशी - 9 अगस्त 2026
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी - 23 अगस्त 2026
  • अजा एकादशी - 7 सितंबर 2026
  • परिवर्तिनी एकादशी - 22 सितंबर 2026
  • इन्दिरा एकादशी - 6 अक्टूबर 2026
  • पापांकुशा एकादशी - 22 अक्टूबर 2026
  • रमा एकादशी - 5 नवंबर 2026
  • देवुत्थान एकादशी - 20 नवंबर 2026
  • उत्पन्ना एकादशी - 4 दिसंबर 2026
  • मोक्षदा एकादशी - 20 दिसंबर 2026

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक 'डॉक्टर अनीष व्यास' देश के जाने-माने प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य हैं. पाल बालाजी के भक्त के रूप में इन्हें जाना जाता है. वैदिक ज्योतिष पर इनका कार्य सराहनीय है. इनकी भविष्यवाणियां काफी सटीक होती हैं. इनके लेख विभिन्न मंचों पर प्रकाशित होते रहते हैं, इन्हें भविष्यफल और दैनिक राशिफल बताने में महारत प्राप्त है. इन्हें हस्तरेखा और वास्तु विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता है. देश के अलावा विदेशों में भी उनके काफी संख्या में फॉलोअर्स है. सोशल मीडिया पर भी यह एक्टिव रहते हैं.  इनकी अब तक 497 से अधिक भविष्यवाणियां सच साबित हो चुकी हैं.डॉक्टर अनीष व्यास को बचपन से ही कर्मकांड और ज्योतिष की शिक्षा-दीक्षा विरासत में प्राप्त हुई. एम.ए. पत्रकारिता में गोल्ड मेडल प्राप्त कर पीएचडी की उपाधि हासिल कर चुके हैं. डॉ. अनीष व्यास के ज्योतिष विषय पर आधारित लेख देश के प्रमुख समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं. इसके साथ ही विभिन्न न्यूज चैनल में लाईव शो में प्रतिभाग करते रहते हैं.
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Frequently Asked Questions

एकादशी व्रत किसे समर्पित है?

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वह मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान पाता है।

साल में कितनी एकादशी तिथियां होती हैं?

साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं, जो हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के बाद आती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है।

एकादशी व्रत का क्या महत्व है?

एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। इसे करने से जातक को मोक्ष मिलता है, सभी कार्य सिद्ध होते हैं, दरिद्रता दूर होती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता।

एकादशी का अर्थ क्या है?

एकादशी का अर्थ है अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना। इस दिन मन में काम, क्रोध, लोभ जैसे कुविचार नहीं आने देने चाहिए।

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