यमुना नदी में लगातार बढ़ रहा है ये जहर वाला सफेद झाग, छठ पूजा के दौरान ऐसे रखें अपनी सेहत का खयाल
सितंबर के महीने में एक रिपोर्ट आई है जिसमें साफ कहा गया है कि यमुना में फेकल कोलीफॉर्म का लेवल अब तक से सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया है. अब आप सोचेंगे आखिर ये फेकल कोलीफॉर्म है क्या?
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि यमुना नदी सालों से गदंगी से जूझ रही है. सरकारें आई और गई लेकिन यमुना अपने अंदर गंदगी समाई हुई है. दिन पर दिन हाल इतना ज्यादा खराब हो जा रहा है कि नदी में गदंगी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. अब सितंबर के महीने में एक रिपोर्ट आई जिसमें साफ कहा गया है कि यमुना के पानी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर बढ़ा हुआ है. जिसका मतलब होता है कि मल वाली बैक्टीरिया. इसके कारण इसके किनारे रहने वाले लोगों के सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. साथ ही इसी के कारण पानी में सफेद झाग जैसे टॉक्सिक पदार्थ बनते हैं.
छठ के दौरान लोगों को हो सकती हैं दिक्कतें?
यमुना में सफेद झाग एक बार फिर से बढ़ता ही जा रहा है. DPCC की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नदी में मल का लेवल काफी ज्यादा बढ़ रहा है. जिसके कारण छठ के दौरान पूजा करने वालों के लिए खतरनात साबित हो सकती है. अगस्त में हुई अच्छी बारिश के कारण नदी में ऑक्सीजन का लेवल पहले से ज्यादा बढ़ा है. लेकिन इसके साथ-साथ नदी में फेकल कोलीफॉर्म का लेवल भी काफी ज्यादा बढ़ा है.
4 अक्तूबर को जारी किए गए रिपोर्ट
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के मुताबिक सितंबर महीने में यमुना नदी के पानी की जांच की गई. इसकी रिपोर्ट 4 अक्तूबर को जारी किए गए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक नदी में फेकल कोलीफॉर्म का लेवल काफी ज्यादा बढ़ा है. 49,00,000 MPN/100 ml तक पहुंच गया है. यह लेवल मानक स्तर 2,500 यूनिट से 1,959 कई गुना ज्यादा है. फरवरी साल 2022 के बाद नदी में मल का लेवल बढ़ा ही है जिसके कारण यह एक खराब लेवल पर पहुंच गया है. फरवरी 2022 में आगरा नहर पर फेकल का लेवल 63,00,000 यूनिट तक पहुंच गया है.
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किसी नदीं में फेकल कोलीफॉर्म का लेवल कैसे बढ़ता है?
रिपोर्ट के मुताबिक पल्ला में नदी के प्रवेश बिंदु पर DO का स्तर 8 mg/l था, जबकि BOD 3 mg/l था. फेकल का लेवल 1,600 यूनिट था. जैसे-जैसे नदी आगे बढ़ती है इसमें प्रदूषण, गंदगी का भार या यूं कहें कि लेवल बढ़ता जाता है. वजीराबाद पहुंचते ही यमुना में BOD मानक से ज्यादा हो गया था. DO और FC मानकों के भीतर थे. निजामुद्दीन पहुंचते-पहुंचते नदीं में FC का लेवल 11,00,000 यूनिट हो जाता है.
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ओखला पहुंचते ही इसका लेवल और भी ज्यादा बिगड़ जाता है. जिसके कारण इसके 35,00,000 तक पहुंच जाता है. वहीं अगरा नहर तक इसमें गंदगी का लेवल 11,00,000 यूनिट हो जाता है वहीं शहर के बाहर वाले नालों से मिलने के बाद इसका लेवल 49,00,000 यूनिट तक पहुंच जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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