Zorawar Tank Indian Army: मिसाइल से मारेगा और ड्रोन भी दागेगा, जानें कितना जोरदार है भारतीय सेना में शामिल हो रहा जोरावर टैंक?
भारतीय सेना को सर्दियों में अपना पहला लाइट टैंक जोरावर मिल जाएगा. पहला प्रोटोटाइप जोरावर स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. जोरावर को रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ की तरफ से तैयार किया गया है.

Zorawar Tank Indian Army: भारतीय सेना की ताकत में नया इजाफा होने जा रहा है. दरअसल भारतीय सेना को सर्दियों में अपना पहला लाइट टैंक जोरावर मिल जाएगा. पहला प्रोटोटाइप जोरावर स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. वहीं दूसरे पर अभी काम चल रहा है. जोरावर को रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ की तरफ से तैयार किया गया है. माना जा रहा है कि भारतीय सेना लद्दाख में इनका यूजर ट्रायल करेगी. यूजर ट्रायल के बाद सेना की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद इन टैंको का बड़ी संख्या में प्रोडक्शन किया जाएगा. ऐसे में चलिए अब हम अब आपको बताते हैं कि भारतीय सेना में शामिल होने वाले जोरावर लाइट टैंक कितना खतरनाक है.
जोरावर की खासियत
जोरावर का वजन लगभग 25 टन है, वहीं इसमें कई हथियार प्रणाली शामिल जो इसे हाई एल्टीट्यूड और कठिन इलाकों में बहुत प्रभावित बनाती है. वहीं जोरावर में नाग मार्क 2 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल लगेगी, जिसे भी डीआरडीओ ने विकसित किया है. इसके अलावा टैंक के टॉप में ड्रोन इंटीग्रेशन की सुविधा होगी. ड्रोन से मिलने वाली फील्ड की जानकारी सीधे कमांडर तक पहुंचेगी, जिससे दुश्मन पर नजर रखी जा सकेगी और तेजी से कार्रवाई की जा सकेगी. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार फिलहाल भारतीय सेना लगभग 350 लाइफ टैंक खरीदने की तैयारी कर रही है.
क्यों है लाइट टैंक जरूरी
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ हुए तनाव ने यह दिखा दिया था कि भारी टैंक हर जगह प्रभावी नहीं होते हैं. ऊंचाई वाले इलाकों और सकरें मार्ग में हल्के तेज और मोबाइल टैंक ही ज्यादा उपयोगी है. यही वजह है की सेना को जोरावर जैसे लाइट टैंक की आवश्यकता है. वहीं चीन के पास मीडियम और लाइट टैंक पहले से ही मौजूद है. 2020 में एलएसी पर हालात बदलने के बाद भारतीय सेना को नॉर्दर्न बॉर्डर पर मजबूती की जरूरत महसूस हुई. वहीं लाइट टैंक ऊंचाई पर तैनात होने से दुश्मन की हरकतों को सीमित करने में मदद करेंगे और सेना को बढ़त देंगे.
जोरावर आत्मनिर्भरता भारत का संदेश
जोरावर और नाग मार्क 2 मिसाइल दोनों ही स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. यह तीसरी पीढ़ी के फायर‑एंड‑फॉरगेट एंटी‑टैंक गाइडेड मिसाइल है. डीआरडीओ के अनुसार इसका सफल फील्ड ट्रायल पहले ही हो चुका है और अभी यह भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है. यह स्वदेशी प्लेटफार्म रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
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