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फ्लैग अनफर्ल और फ्लैग होस्टिंग में क्या अंतर, 15 अगस्त को कैसे फहराया जाता है झंडा

भारत इस साल 15 अगस्त के दिन अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त के दिन फ्लैग अनफर्ल होता है या फ्लैग होस्टिंग. आज हम आपको इसके बीच का अंतर बतााएंगे.

भारत इस साल 15 अगस्त के दिन अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी दिल्ली स्थित लाल किला से भारतीय तिरंगा को फहराएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फ्लैग अनफर्ल और फ्लैग होस्टिंग में क्या अंतर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को तिंरगा फहराने के तरीकों में क्या अंतर होता है.

भारतीय तिरंगा

अपने देश में हर साल 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) और 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) दोनों ही दिन भारतीय तिरंगे को फहराया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके तरीके में एक बड़ा अंतर होता है. 26 जनवरी को राष्ट्रपति ध्वज फहराते हैं, जबकि 15 अगस्त पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. लेकिन इसके अलावा भी इन दोनों में एक बड़ा अंतर होता है. बता दें कि 15 अगस्त को जहां ध्वजारोहण किया जाता है, वहीं 26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है.

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर?

बता दें कि स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से पहले उसे बांधकर पोल (खंभे) पर रखा जाता है. जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए डोरी खींचते हैं तो उस दौरान सबसे पहले तिरंगा ऊपर उठता है और फिर उसे फहराया जाता है. इसे ध्वजारोहण (फ्लैग होस्टिंग) कहते हैं.

वहीं गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने से पहले ही उसे बांधकर पोल के शीर्ष पर बांध दिया जाता है. जब राष्ट्रपति डोरी खींचते हैं, तो वह फहरने लगता है. इसे झंडा बंधन या झंडा फहराना (फ्लैग अन्फर्ल) कहा जाता है.

प्रधानमंत्री क्यों करते हैं ध्वजारोहण?

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति भारत सरकार का संवैधानिक प्रमुख होता है. ऐसे में स्वतंत्रता दिवस पर भी उन्हें ही ध्वजारोहण करना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता है. जब देश 1947 में आजाद हुआ था, तब भारत का कोई आधिकारिक राष्ट्रपति नहीं था. उस वक्त लॉर्ड माउंटबेटन भारत के गर्वनर थे और जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रधानमंत्री चुना गया था. चूंकि माउंटबेटन ब्रिटिश सरकार के अफसर थे, इसलिए स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने का काम प्रधानमंत्री ने किया था. तब से भारत के प्रधानमंत्री ही 15 अगस्त को लाल किले पर ध्वजारोहण कर रहे हैं.

बता दें कि राजनीति में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है. इसी वजह से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ध्वजारोहण के लिए लाल किले की प्राचीर को चुना था. दिल्ली में स्थित लाल किला मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी राजधानी शाहजहांनाबाद के महल के रूप में बनवाया था. 

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