इस्लाम में गुनहगार को माफ करना कितना बड़ा नेक अमल, जानें कब-कब दी जाती है क्षमा?
Pardon In Islam: किसी को भी उसके गुनाह के लिए माफी देना बहुत बड़ा काम माना जाता है, लेकिन इस्लाम इसके बारे में क्या कहता है. इस्लाम में किन मौकों पर क्षमा दी जाती है, चलिए जानते हैं.

यमन में फांसी की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा को फिलहाल टाल दिया गया है. ये भारत और यमन के धार्मिक नेताओं की दखल के बाद संभव हो सका है. इस सजा को रोकने के लिए ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया शेख अबूबकर अहमद ने यमन के मशहूर आलिम शेख उमर बिन हफीज से मदद की मांग की थी. जिसके बाद शेख उमर ने अपने लोगों को तत्काल परिवार से बात करने के लिए भेजा. कई दौर की जब बातचीत हुई, तब जाकर तलाल का परिवार फिलहाल मौत की सजा टालने के लिए राजी हो गया है. ऐसे में चलिए यह जानें कि इस्लाम में गुनहगार को माफ करना कितना नेक काम है.
क्या निमिषा प्रिया को माफ करेगा तलाल महदी का परिवार?
निमिषा प्रिया की माफी को लेकर जब तलाल महदी के भाई अब्देल फतेह महदी ने बीबीसी को बताया है कि उनके भाई तलाल पर निमिषा के शोषण की बात सिर्फ एक अफवाह मात्र थी. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जो बात सच है, उसे झूठ बताने की कोशिश की जा रही है और जो हत्या का दोषी है उसको पीड़ित बताया जा रहा है. एक अपराधी को जस्टिफाई करने की कोशिश हो रही है. निमिषा प्रिया को माफी देने के बारे में उनका कहना है कि “हम चाहते हैं कि इस मामले में खुदा का कानून किया जाए, इससे कम में हम नहीं मानने वाले हैं और उनको माफी देने के मसले पर हमारी राय साफ है.”
इस्लाम में माफी कितना नेक काम
वहीं किसी भी गुनहगार को माफी देने पर इस्लाम क्या कहता है, जब इस बारे में एबीपी न्यूज ने मौलाना एजाज कासमी से बात की तो उनका कहना था कि “इस्लाम में गुनहगार को माफ कर देना बहुत बड़ी बात होती है. हां यह बात सही है कि अगर किसी ने कोई गुनाह किया है तो उसे सजा देना तो ठीक बात है, लेकिन अगर माफ कर दे रहे हैं, तो यह बहुत बड़ा और नेक काम है. चाहे वो कोई भी मौका हो और कोई किसी गुनहगार को माफ कर दे रहा है तो यह अच्छा होता है. वैसे तो इस्लाम के अंदर यह है कि अगर किसी ने आपका कत्ल किया है तो बदले में उसका भी कत्ल कर दिया जाए. लेकिन अगर माफी दी जा रही है तो उनका अपना मत है. ऐसे में उस शख्स की जितनी भी सराहना की जाए वो कम है.”
कब-कब दी जाती है क्षमा
मौलाना एजाज कासमी क्षमा देने के मौके के बारे में कहते हैं कि “किसी भी मौके पर क्षमा दी जा सकती है भले ही उस गुनहगार ने कुछ किया हो. यह क्षमा देने वाले पर निर्भर करता है कि वो माफ करना चाहता है या नहीं. लेकिन इस्लाम के अंदर तो यह है कि अगर किसी ने कत्ल किया है तो उसका कत्ल किया जाएगा, जैसे कि यमन में और सऊदी अरब में इस्लामी शरिया कानून चलता है. वहां पर उसके हिसाब से सजा होती है, लेकिन अगर फिर भी कोई किसी गुनाह करने वाले को माफ कर दे रहा है तो यह उसकी तारीफ है.”
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