सिर्फ इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन नहीं लड़ रहे, दुनिया के इन देशों में भी चल रही जंग
Wars In The World: इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन के अलावा भी दुनिया के और देश में इन दिनों जंग की स्थिति बनी हुई है. चलिए आपको बताते हैं दुनिया में और कहां जारी हैं इन वक्त जंग.
Wars In The World: इन दिनों दुनिया के कई देशों में हालात बेहद खराब है. इजरायल और हमास के बीच पिछले 1 साल से लगातार युद्ध चल रहा है. जिसमें अब तक हजारों लोगों की जाने जा चुकी हैं. तो वहीं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भी 10 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. इजरायल और हमास, रूस और यूक्रेन लगातार एक दूसरे पर हमले दर हमले करते जा रहे हैं.
इन सभी युद्ध के चलते दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति पनपने का खतरा पैदा हो गया है. लेकिन सिर्फ इन्हीं देशों के बीच युद्ध नहीं हो रहा. बल्कि दुनिया के और भी देश में इन दिनों जंग की स्थिति बनी हुई है. चलिए आपको बताते हैं दुनिया में और कहां जारी हैं इस वक्त जंग.
यमन में सिविल वाॅर
साल 2014 से यमन में गृह युद्ध चल रहा है. दरअसल युद्ध शुरू हुआ था साल 2011 में जब लंबे समय से सत्ता पर कागज राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह ने अपने डिप्टी अब्दराबूह मंसूर हादी को नया राष्ट्रपति घोषित किया. लेकिन इसके बाद यमन की आर्थिक स्थिति और जिहादियों के हमले से देश में सुरक्षा की समस्या के चलते अब्दराबूह मंसूर हादी काफी परेशान थे. तो वहीं यमन की सिक्योरिटी फोर्स अपने नए राष्ट्रपति के बजाय पिछले राष्ट्रपति के प्रति ज्यादा वफादार थी.
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इसी बीच हूती विद्रोहियों ने यमन के कई इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया और साल 2015 में हूती विद्रोहियों के चलते राष्ट्रपति हादी को यमन छोड़कर विदेश भागना पड़ा. इसके बाद दूसरे अरब देशों ने खड़ी सरकार को बहाल करने के लिए सैन्य मदद भेजी. जिससे स्थिति थोड़ी संभली लेकिन हूती विद्रोहियों का कब्जा अभी भी कुछ हिस्सों में हैं. इस युद्ध के चलते अब तक 30 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं, 6 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरी को दी है. अभी भी यमन में स्थिति काबू में नहीं आई है.
म्यांमार में रोहिंग्या संकट और सैन्य शासन विरोध
म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या एक बड़ी मुस्लिम कम्युनिटी है. इस कम्युनिटी के बहुत से लोग वहां रहते हैं. लेकिन म्यांमार सरकार इन लोगों को नागरिकता देने से इनकार कर रही है. सरकार ने इन्हें इस समुदाय प्रवासी घोषित कर चुकी है, भले ही रोहिंग्या समुदाय के लोग वहां कई सालों से रह रहे हो. लेकिन इस समुदाय को धार्मिक और जातीय तौर पर म्यांमार में अल्पसंख्यक माना जाता है.
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और इसी वजह से इनके साथ लंबे समय से भेदभाव हो रहा है, साल 2017 में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या समुदाय पर सैन्य हमले किए. जिसमें हजारों की तादाद में लोग मारे गए. रोहिंग्या के कुछ गांव को जला दिये गये और लाखों रोहिंग्या लोगों को देश से बाहर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इसके अलावा साल 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे वहां नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने जीत हासिल की थी लेकिन साल 2021 में चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए म्यांमार की सेना ने सत्ता अपने हाथों में ले ली. यह वही सेना है. जिसने रोहिंग्या समुदाय पर हमला करके नरसंहार किया था. देश में अभी भी युद्ध की स्थिति बनी हुई है.
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