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नई रिसर्च में Alzheimer को ठीक करने का दावा... Methanol सूंघने से दिमाग होगा स्वस्थ
Inhaling Methanol in Alzheimer: एक नए अध्ययन से पता चलता है कि मेन्थॉल को सूंघने से अल्जाइमर रोग के पशु मॉडल में मानसिक कार्य में सुधार होता है.
![नई रिसर्च में Alzheimer को ठीक करने का दावा... Methanol सूंघने से दिमाग होगा स्वस्थ Inhaling Methanol help improving brain memory health in Alzheimer disease नई रिसर्च में Alzheimer को ठीक करने का दावा... Methanol सूंघने से दिमाग होगा स्वस्थ](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/22/39058dc55bb9c5aa017cd2342f3dd52f1684760556745208_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
अल्जाइमर रोग में मेथनॉल ( Image Source :Facebook )
Methnol Affects Alzheimer: अल्जाइमर एक उम्र से जुड़ा, अपरिवर्तनीय, प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है. विश्व भर में कम-से-कम 4 करोड़ 40 लाख लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं. भारत में 40 लाख से अधिक लोगों को किसी न किसी प्रकार का डिमेंशिया है. कई रिसर्च के बाद भी इस बीमारी का अब तक कोई ठोस इलाज नहीं मिला है. वर्तमान में उपलब्ध दवाएं केवल अल्जाइमर बीमारी की शुरुआत या बढ़ने की स्थिति को धीरे कर देती हैं. इस बीमारी में गंभीर स्मृति हानि, असामान्य व्यवहार, व्यक्तित्व परिवर्तन और सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आती है. एक नई अध्ययन में Methanol केमिकल को सूंघने से दिमाग के स्वास्थ्य के बेहतर होने का दावा किया गया है.
क्या कहती है अध्ययन
इस अध्ययन के अनुसार, मेथनॉल के बार-बार संक्षिप्त संपर्क से अल्जाइमर के रोगियों में होने वाली मानसिक प्रक्रियाओं में सुधार होता है. यह अध्ययन चूहों पर किया गया था. यह अध्ययन Frontiers in Immunology में प्रकाशित भी हुआ है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जब चूहों ने मेथनॉल को सूंघा तो उनमें Interleukin-1-beta नाम के प्रोटीन का स्तर कम हो गया. अल्जाइमर जैसे लक्षण से ग्रस्त चूहों में इस प्रोटीन की मात्रा को कम करने से मानसिक प्रक्रियाओं में बढ़त देखी गई है. जो एक अच्छा संकेत होता है. साथ ही मेथनॉल गैस दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करता है जो अल्जाइमर के रोगियों में बेकार हो जाता है. यह अध्ययन मानसिक बीमारी के इलाज में गंध की क्षमता को दर्शाता हैं. इससे पहले भी कई अध्ययनों में गंध और मानसिक को आपस में जुड़ा हुआ पाया गया है.
असल जिंदगी में इसके क्या मायने है
भले ही इस अध्ययन में सकारात्मक निष्कर्ष मिले हैं, लेकिन इससे अल्जाइमर बीमारी का ठोस इलाज नहीं मिलता है. मामले के एक्सपर्ट ने माना है, 'यह एक महत्वपूर्ण खोज है, जिसकी वर्तमान में कोई मैकेनिज्म विवरण नहीं है'. यह केवल चूहों पर आधारित मॉडल है. एक्सपर्ट का मानना है कि इस तरह के अध्ययन को मानव पर इसे सीधे-सीधे इंसानों पर लागू नहीं किया जा सकता है. इसके पीछे वाजिब वजह है. दरअसल, चूहों और इंसानों की प्रजातियों में आनुवंशिक, मानसिक और शारीरिक अंतर होता हैं. चूहों पर करें परीक्षण के आधार पर इंसानों पर समान प्रयोग करना सकारात्मक परिणाम नहीं देगा.
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डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion