भारत बना रहा सोलर एनर्जी से चलने वाली ट्रेन, लेकिन ये देश पहले ही कर चुके हैं ऐसा
भारतीय रेलवे का लक्ष्य 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है और सौर ऊर्जा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. चलिए जानते हैं उन देशों के बारे में जो पहले ही कर चुके हैं ऐसा.

भारत जो अपनी विशाल रेल नेटवर्क और तकनीकी प्रगति के लिए जाना जाता है अब सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेनों की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. भारतीय रेलवे ने हाल के वर्षों में हरित और टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं और सौर ऊर्जा से संचालित ट्रेनें इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं. हालांकि, भारत इस क्षेत्र में अग्रणी नहीं है क्योंकि कई अन्य देश पहले ही सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेनों को सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं. चलिए उन देशों के बारे में जानते हैं.
भारत की पहली सौर्य ऊर्जा संचालित ट्रेन
भारतीय रेलवे ने 2017 में अपनी पहली सौर ऊर्जा संचालित डीईएमयू (डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से लॉन्च किया था. इस ट्रेन में आठ कोचों पर 16 सोलर पैनल लगाए गए थे, जो ट्रेन के विद्युत उपकरणों जैसे पंखे और लाइट्स को बिजली प्रदान करते थे. यह ट्रेन दिल्ली के सराय रोहिल्ला से हरियाणा के फारुख नगर तक चलती थी. यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी थी क्योंकि इससे 2.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम हुआ.
सौर्य ऊर्जा संचालित ट्रेनें
हाल ही में, भारतीय रेलवे ने बिहार में हावड़ा-नई दिल्ली रूट पर सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन शुरू करने की योजना बनाई है, जिसके लिए मध्य प्रदेश के बीना में सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया है. बनारस लोकोमोटिव वर्क्स ने भी 70 मीटर रेल ट्रैक पर 28 सोलर पैनल लगाकर एक अनूठा प्रयोग किया है, जो बिजली बचत और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा. हालांकि, भारत से पहले कई देश सौर ऊर्जा से ट्रेनें चला चुके हैं.
इन देशों ने पहले ही कर ली पहल
ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में बायरन बे रेलरोड कंपनी के तहत दुनिया की पहली पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन लॉन्च की. यह ट्रेन न्यू साउथ वेल्स में 3 किलोमीटर के रूट पर चलती है और सौर पैनलों से चार्ज होने वाली बैटरी द्वारा संचालित होती है. इस ट्रेन की खासियत यह है कि यह पूरी तरह डीजल-मुक्त है और पर्यावरण के लिए शून्य उत्सर्जन पैदा करती है.
जर्मनी भी इस क्षेत्र में अग्रणी है. जर्मनी की ट्रेनें सौर ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज सिस्टम के संयोजन से चलती हैं, जो रात के समय या कम सूरज की रोशनी में भी निर्बाध संचालन सुनिश्चित करती हैं. जापान ने भी सौर ऊर्जा को रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में उपयोग करना शुरू किया है. टोक्यो मेट्रो ने अपने कुछ रेलवे स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाए हैं, जो ट्रेनों के संचालन में सहायता करते हैं. चीन ने भी सौर ऊर्जा से चलने वाली हाई-स्पीड ट्रेनों पर काम शुरू किया है. बीजिंग-शंघाई रेल कॉरिडोर पर सौर पैनल लगाए गए हैं, जो ट्रेनों के लिए बिजली उत्पन्न करते हैं.
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Source: IOCL
























