सिर्फ 4 मैग्नीट्यूड के भूकंप में क्यों महसूस हुए इतने तेज झटके? एक्सपर्ट्स ने बता दी वजह
दिल्ली-एनसीआर में सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 4.0 की तीव्रता में भी इतने तेज झटके क्यों महसूस हुए हैं. जानिए इसके पीछे की क्या है वजह...

दिल्ली-एनसीआर में सोमवार की सुबह भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गये हैं. जानकारी के मुताबिक सुबह साढ़े 5 बजे आए भूकंप की तीव्रता 4.0 थी, लेकिन इसके बावजूद भूकंप के झटके तेज महसूस हुए हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों कम तीव्रता में भी भूकंप के झटके तेज महसूस होते हैं.
दिल्ली में महसूस हुए तेज झटके
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटकों ने सबको हिलाकर रख दिया है. सुबह के वक्त भूकंप के झटके आने के कारण कई लोगों की नींद भी टूटी और लोग अपने घरों से निकलकर बाहर आए गये थे. वहीं सरकारी वेबसाइट seismo.gov.in पर भूकंप की तीव्रता 4.0 बताई गई है. हालांकि सिर्फ 4.0 तीव्रता होने के बावजूद झटका इतना तेज था कि सुबह-सुबह कार से निकल रहे लोगों और सड़कों पर वॉक करने वालों ने भी महसूस किया है.
क्यों आते हैं तेज झटके
अब सवाल ये है कि 4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आने पर भी इतने तेज झटके क्यों महसूस हुए हैं. बता दें कि इसके पीछे का सबसे पहला कारण ये है कि शहर के अंदर ही भूकंप का केंद्र होने पर झटके अधिक तेज महसूस होते हैं. दरअसल शहर में केंद्र होने पर भूकंपीय तरंगों को मैदानी इलाके की अपेक्षा किसी इमारत तक पहुंचने में कम दूरी तय करना पड़ता है.
बता दें कि रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 माफी गई है. इतनी तीव्रता वाले भूकंप को मध्यम श्रेणी पर रखा जाता है. लेकिन तेज झटके के पीछे का एक कारण ये भी है कि भूकंप का केंद्र काफी ऊपर था. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र जमीन से महज 5 किमी नीचे था. एक्सपर्ट के मुताबिक दिल्ली में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है. वहीं ऊंची इमारतें अपनी डिजाइन की वजह से तेज हिलती हैं. जिस कारण भी तेज झटके महसूस होते हैं.
राजधानी में क्यों आते हैं अधिक भूकंप ?
अब सवाल ये है कि राजधानी दिल्ली में बाकी जगहों की तुलना में भूकंप अधिक क्यों आता है? जानकारी ते मुताबिक राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में कई अन्य फॉल्ट भी हैं. जैसे हिमालय के करीब होने की कारण भी यहां भूकंप का खतरा अधिक होता है. वहीं दिल्ली के आसपास महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट, मुरादाबाद फॉल्ट, सोहना फॉल्ट, ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट, दिल्ली-सरगोधा रिज, यमुना नदी रेखाखंड, गंगा नदी रेखाखंड मौजूद है, इस कारण भी भूकंप का खतरा बना रहता है. बता दें कि फॉल्ट दो चट्टानों के बीच एक फ्रैक्चर का क्षेत्र होता है. वहीं फॉल्ट क्षेत्र में दो चट्टान एक-दूसरे के सापेक्ष गति करने की अनुमति देते हैं, यह गति भूकंप के रूप में तेजी सकती है. वहीं फॉल्ट की लंबाई कुछ मिलीमीटर से लेकर हज़ारों किलोमीटर तक हो सकती है.
ये भी पढ़ें:राष्ट्रपति भवन बनाने के लिए अंग्रेजों ने चला दी थी स्पेशल ट्रेन, क्यों किया था ऐसा?
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























