यूं ही नहीं बनी यह दुनिया की सबसे महंगी कंपनी, मार्केट कैप भारत की GDP से भी ज्यादा
Nvidia: एनवीडिया (Nvidia) 5 ट्रिलियन डॉलर की मार्केट कैपिटल वाली पहली कंपनी बन गई है. यह आंकड़ा भारत की जीडीपी से भी ज्यादा है. Nvidia के बाद माइक्रोसॉफ्ट और ऐप्पल दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी हैं.

Nvidia: अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी एनवीडिया (Nvidia) 5 ट्रिलियन डॉलर की मार्केट कैपिटल वाली पहली कंपनी बन गई है. Nvidia के बाद माइक्रोसॉफ्ट और ऐप्पल दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी हैं.
बुधवार को इसके शेयर की कीमत लगभग 3 परसेंट चढ़कर 207.16 डॉलर तक पहुंच गया, जिससे इसका मार्केट कैप 5.03 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 453 लाख करोड़ तक पहुंच गया. हैरान करने वाली बात यह है कि यह भारत की GDP से करीब 90 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है. IMF के मुताबिक, भारत की GDP अभी 4.13 ट्रिलियन डॉलर यानी 364 लाख करोड़ रुपये हैं. जून से लेकर अब तक कंपनी के 1 अरब डॉलर से ज्यादा शेयर बिके हैं.
क्यों इतनी है Nvidia की डिमांड?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जून के आखिर में जब सीईओ जेनसन हुआंग ने कंपनी का शेयर बेचना शुरू किया, तब स्टॉक की कीमत लगभग 865 मिलियन डॉलर थी. अब तक स्टॉक 40 परसेंट से भी ज्यादा चढ़ चुका है. इसके पीछे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती डिमांड है. यही वजह है कि 2022 से अब तक कंपनी का शेयर 12 गुना बढ़त हासिल की है. आलम यह है कि सिर्फ तीन ही महीने में कंपनी की वैल्यू 4 ट्रिलियन से 5 ट्रिलियन तक पहुंच गई.
जेनसन ने 2001 से NVIDIA के 2.9 बिलियन डॉलर से अधिक शेयर बेचे हैं और मौजूदा समय में कंपनी में उनकी 3.5 परसेंट हिस्सेदारी है. हुआंग ने इस साल की शुरुआत में अपने फाउंडेशन और डोनर-एडेड फंड को 300 मिलियन डॉलर से अधिक के शेयर डोनेट भी किए हैं.
अमेरिकी सरकार से मिले कई बड़े ऑर्डर
हुआंग ने इसी हफ्ते अमेरिकी सरकार के लिए 500 अरब डॉलर के एआई चिप ऑर्डर और सात सुपर कंप्यूटर बनाने का भी ऐलान किया. वॉशिंगटन में एनवीडिया डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी अमेरिकी ऊर्जा विभाग के लिए सात नए सुपर कंप्यूटर बनाएगी. इसके अलावा, एडवांस्ड चिप्स के लिए 500 अरब डॉलर की भी बुकिंग ली जा चुकी है.
ट्रंप के इस फैसले पर नाराज
हालांकि, उन्होंने अमेरिका के लगाये गए कड़े एक्सपोर्ट बैन पर खेद भी जताया, जिसकी वजह से कंपनी अब चीन में अपने एडवांस्ड AI चिप्स नहीं बेच पा रही है. दरअसल, अमेरिका नहीं चाहता कि चीन को इतनी एडवांस्ड एआई चिप्स (AI Chips) मिलें, जिसका इस्तेमाल वह सैन्य तकनीक (Military Technology) को और मजबूत बनाने में करे इसलिए अमेरिका ने चीन को हाई-टेक चिप्स बेचने पर एक्सपोर्ट कंट्रोल (Export Control) लगा रखा है. चैटजीपीटी जैसे AI टूल्स के लिए एनवीडिया की ही H100 और ब्लैकवेल चिप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. कंपनी अब इसी नई ब्लैकवेल चिप्स को चीन में बेचना चाहती है, लेकिन ट्रंप सरकार के फैसले की वजह से नहीं बेच पा रही है.
हालांकि, इस पर तर्क देते हुए कंपनी के सीईओ ने कहा कि टेक्नोलॉजी को लेकर निरंतर आपसी सहयोग और चीनी बाजार तक पहुंच अंततः अमेरिका के ही हित में होगा. हुआंग इन दिनों दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं. उन्होंने यहां पत्रकारों से बात करते हुए चीन को एक अनोखा और डायनैमिक मार्केट बताया, जिसकी जगह कोई और नहीं ले सकता. उन्होंने बताया कि चीन तक अपनी पहुंच का प्रयास वह आगे भी जारी रखेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन अमेरिकी चिप्स का एक प्रमुख उपभोक्ता बना रहेगा.
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Source: IOCL






















