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एग्जिट पोल

एग्जिट पोल्स (Exit Polls) के जरिए मतदाताओं से सवाल पूछकर यह समझने की कोशिश की जाती है कि उन्‍होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है. एग्जिट पोल्स मतदान के दिन होते हैं, जब वोटिंग खत्म होती है या वोटर्स मतदान केंद्रों से बाहर निकल रहे होते हैं. एग्जिट पोल रिजल्ट्स (Exit Poll Results) से पहले सिर्फ एक आकलन होता है, चुनाव परिणाम कई मौकों पर एग्जिट पोल से अलग भी आए हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. 14 नवंबर को पता चलेगा कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी. नतीजों से पहले बिहार विधानसभा चुनाव एग्जिट पोल (Exit Polls 2025 Bihar ) में एबीपी न्यूज (ABP News) दिखाएगा कि आखिर किसकी सरकार बनेगी.



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FAQs

एग्जिट पोल्स क्या है?

एग्जिट पोल वोटिंग के बाद और चुनाव नतीजों से पहले जारी किए जाते हैं. एग्जिट पोल के जरिए मतदान करके निकले वोटरों से सवाल पूछकर ये समझने की कोशिश की जाती है कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट किया. इसके आधार पर एग्जिट पोल तैयार होता है. एग्जिट पोल से चुनाव परिणामों का अनुमान लगाया जाता है. भारत में कोई सरकारी एजेंसी एग्जिट पोल नहीं कराती, लेकिन कई निजी एजेंसियां हैं जो एग्जिट पोल कराती हैं. कई बार एजेंसियां जनता का मूड टटोलने में कामयाब रहती हैं और एग्जिट पोल सही साबित होते हैं. हालांकि, कई बार ये अनुमान गलत भी साबित होते हैं.

एग्जिट पोल कैसे कराए जाते हैं?

सबसे पहला एग्जिट पोल अमेरिका में 1936 में किया गया था. तब न्यूयॉर्क शहर में राष्ट्रपति चुनाव का सर्वे कराया गया था. इस दौरान वोट डालकर बूथ से निकले वोटरों से पूछा गया था कि वे किस उम्मीदवार को वोट करके आए हैं. ये एग्जिट पोल जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने किया था. इस एग्जिट पोल में सामने आया था कि फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे. इस चुनाव में एग्जिट पोल सही साबित हुए. इसके बाद एग्जिट पोल चर्चित हो गए. 1937 में ब्रिटेन और 1938 में फ्रांस में एग्जिट पोल हुए. भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी.

प्री पोल और पोस्ट पोल क्या होते हैं?

प्री पोल और एग्जिट पोल में अंतर होता है. चुनाव की घोषणा और मतदान से पहले जो सर्वे कराया जाता है, उसे प्री पोल कहते हैं. जैसे इस बार लोकसभा चुनाव का ऐलान चुनाव आयोग ने 16 मार्च को किया था. पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को हुआ था. यानी 16 मार्च से 19 अप्रैल तक जो सर्वे कराया गया, उन्हें प्री पोल कहा जाएगा. वहीं एग्जिट पोल हमेशा मतदान के दिन होता है. वोट डालकर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट किया, इस आधार पर एग्जिट पोल तैयार किया जाता है. हालांकि, मतदान पूरा होने के बाद ही इन्हें जारी किया जाता है.

एग्जिट पोल को लेकर क्या है ECI गाइडलाइंस?

भारत में एग्जिट पोल पर किसी तरह की मनाही नहीं है. हालांकि, चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के लिए कुछ नियम बनाए हैं. इन नियमों के मुताबिक, एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के समय प्रसारित नहीं किया जा सकता. इन्हें मतदान के बाद प्रसारित किया जाता है. इसके लिए एजेंसी को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है. इतना ही नहीं एजेंसी को स्पष्ट रूप से बताना होता है कि यह सिर्फ एक अनुमान है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126ए के तहत एग्जिट पोल को शामिल किया गया है.

भारत में क्या है चुनावी सर्वे का इतिहास?

भारत में पहला एग्जिट पोल 1996 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने किया था. एजेंसी ने अनुमान जताया था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनेगी. लोकसभा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक आए. इसके बाद भारत में एग्जिट पोल का चलन बढ़ गया. भारत में एग्जिट पोल कुछ ही मामलों में गलत साबित हुए हैं. 2014 में एग्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया गया था, 2014 में बीजेपी सत्ता में आ गई. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल में बीजेपी की सरकार का अनुमान जताया गया था और नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक ही आए. हालांकि, ये स्पष्ट है कि एग्जिट पोल हमेशा स्पष्ट नहीं होते, कई बार ये गलत भी साबित होते रहे हैं.

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