उत्तरकाशी आपदा: थराली में SDRF का खोजी अभियान, सेना और हेलीकॉप्टर से राहत कार्य तेज
Dehradun News:कि एसडीआरएफ की टीमें थराली गांव में मलबे में दबे घरों की तलाश में जुटी हैं. स्निफर डॉग्स की मदद से उन स्थानों पर खोजबीन की जा रही है, जहां मकान और दुकानें पूरी तरह नष्ट हो गए.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को आई भीषण प्राकृतिक आपदा के पांच दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. थराली गांव में हुए विनाशकारी भूस्खलन और फ्लैश फ्लड ने पूरे क्षेत्र को तबाह कर दिया है. SDRF ने आज सुबह से मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए स्निफर डॉग्स की मदद से खोजी अभियान शुरू किया है. इस आपदा में सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें स्थानीय निवासी, केदारनाथ यात्री, और पर्यटक शामिल हैं.
बता दें कि एसडीआरएफ की टीमें थराली गांव में मलबे में दबे घरों की तलाश में जुटी हैं. स्निफर डॉग्स की मदद से उन स्थानों पर खोजबीन की जा रही है, जहां मकान और दुकानें मलबे की चपेट में आकर पूरी तरह नष्ट हो गए. मलबे की मोटाई 7 से 8 फीट तक होने के कारण बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
मुख्यमंत्री धामी की निगरानी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले पांच दिनों से लगातार उत्तरकाशी में डटे हुए हैं और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं. उनके साथ राज्य के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद हैं. धामी ने धराली गांव का दौरा कर प्रभावित लोगों से मुलाकात की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी एजेंसियों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चला रहे हैं. प्रभावितों की मदद के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
सेना और हेलीकॉप्टर की भूमिका
राहत और बचाव कार्यों में 1000 से ज्यादा जवान तैनात हैं, जिनमें भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, और एसडीआरएफ की टीमें शामिल हैं. छह हेलीकॉप्टर (दो सेना के और चार राज्य सरकार के) लगातार लोगों को सुरक्षित निकालने और राहत सामग्री पहुंचाने में लगे हैं. अब तक 400 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिनमें केदारनाथ यात्री और पर्यटक भी शामिल हैं. हालांकि 9 सैनिकों सहित कई लोग अभी भी लापता हैं.
सड़कों और पुलों की स्थिति
आपदा के कारण गंगोत्री नेशनल हाईवे कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया है. भटवाड़ी से आगे का रास्ता खोल दिया गया है, लेकिन टूटे हुए पुल को ठीक करने का काम जारी है. बीआरओ और प्रशासन युद्धस्तर पर सड़कों को बहाल करने में जुटे हैं, और उम्मीद है कि यह काम कल देर शाम तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद थराली गांव तक वाहनों की आवाजाही शुरू हो सकेगी.
आपदा का प्रभाव
- लापता लोग: अभी तक लापता लोगों की सटीक संख्या स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक 50 से 100 लोग लापता हो सकते हैं.
- मृत्यु आंकड़े: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.
- नुकसान: धराली और थराली गांव में घर, होटल, और दुकानें मलबे में तब्दील हो गए. विद्युत और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है.
राहत कार्यों में चुनौतियां
- मौसम की बाधा: खराब मौसम और लगातार बारिश ने हेलीकॉप्टर और जमीनी अभियानों में रुकावट पैदा की है.
- सड़क मार्ग: गंगनानी के पास बीआरओ का कंक्रीट पुल बह गया, जिसके कारण बचाव टीमें थराली तक पहुंचने में असमर्थ हैं. वैकल्पिक बेली ब्रिज बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
- मलबा: 30 से 50 फीट ऊंचा मलबा हटाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. ड्रोन और खोजी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है.
केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री धामी से संपर्क कर हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. भारतीय वायुसेना ने चिनूक, MI-17, और ALH हेलीकॉप्टरों को राहत कार्यों के लिए तैनात किया है.
Source: IOCL























