सांसद नरेश बंसल के नाम पर फर्जी इंटर्नशिप पेज बनाकर धोखाधड़ी, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
Uttarakhand News: इस मामले पर शहर कोतवाल प्रदीप पंत ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है क्योंकि इसमें एक सार्वजनिक प्रतिनिधि के नाम और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग किया गया है.

उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद नरेश बंसल के नाम पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंकडिन (LinkedIn) पर एक फर्जी इंटर्नशिप पेज बनाकर युवाओं से ठगी करने का मामला सामने आया है. साइबर ठगों ने सांसद की फोटो और नाम का दुरुपयोग करते हुए खुद को उनके कार्यालय से जुड़ा दिखाया और युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर के नाम पर ठगने की कोशिश की.
उतराखंड में सांसद के फर्जी इंटर्नशिप का खुलासा
जानकारी के अनुसार, इस फर्जी पेज पर दावा किया गया कि इच्छुक युवा सांसद नरेश बंसल के कार्यालय में इंटर्नशिप कर सकते हैं. इसके बदले में उन्हें संसद भवन घूमाने, गणतंत्र दिवस परेड के टिकट दिलवाने और संसदीय प्रक्रियाओं को नजदीक से समझने का मौका देने जैसे आकर्षक वादे किए गए. ठगों ने युवाओं से आवेदन शुल्क और औपचारिकताओं के नाम पर पैसे भी मांगे.
जब कुछ आवेदकों ने इस संदिग्ध पेज की सच्चाई जानने के लिए सीधे सांसद कार्यालय से संपर्क किया, तब पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. सांसद नरेश बंसल के कार्यालय ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. इसके बाद शहर कोतवाली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी और मुकदमा दर्ज किया गया.
सांसद के फोटो और नाम का इस्तेमाल कर की ठगी
शहर कोतवाल प्रदीप पंत ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है क्योंकि इसमें एक सार्वजनिक प्रतिनिधि के नाम और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग किया गया है. उन्होंने बताया कि जांच में यह सामने आया है कि आरोपितों ने युवाओं के सरकारी संस्थानों के प्रति विश्वास और उत्साह का फायदा उठाने की कोशिश की. ठगों ने सांसद की असली तस्वीरें और आधिकारिक जानकारी का इस्तेमाल कर भरोसा जीतने का प्रयास किया.
घटना की जांच में जुटी पुलिस
पुलिस ने बताया कि साइबर सेल की मदद से फर्जी अकाउंट की तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही लिंकडिन प्रशासन को पत्र भेजकर उस अकाउंट से संबंधित आईपी एड्रेस और यूजर डिटेल्स मांगी गई हैं ताकि आरोपियों तक जल्द पहुंचा जा सके.
अधिकारियों ने आम जनता, विशेषकर युवाओं से अपील की है कि किसी भी प्रकार की इंटर्नशिप, नौकरी या सरकारी अवसर से जुड़े प्रस्तावों पर बिना पुष्टि भरोसा न करें. ऐसे किसी संदिग्ध लिंक या पेज की जानकारी तुरंत पुलिस या संबंधित विभाग को दें ताकि साइबर अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके.
पुलिस का कहना है कि आरोपितों की पहचान होते ही कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले आरोपी दस बार सोचे.
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