उच्च शिक्षा के बदलते चेहरे की बड़ी रिपोर्ट! अब देश के कॉलेजों में 60% से ज्यादा छात्र SC/ST/OBC वर्ग से, सामान्य वर्ग पिछड़ गया
देश की उच्च शिक्षा में बड़ा सामाजिक बदलाव दिखा है, जहां SC/ST/OBC छात्रों की हिस्सेदारी पहली बार 60% के पार पहुंच गई है और सामान्य वर्ग का नामांकन घटकर 39% रह गया है.

देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में पिछले एक दशक में बहुत बड़ा बदलाव आया है. IIM उदयपुर की नई रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में SC, ST और OBC वर्ग का दबदबा बढ़ चुका है. 12 साल पहले जहां इन वर्गों की हिस्सेदारी आधी भी नहीं थी, वहीं अब यह बढ़कर 60% के पार पहुंच गई है.
इसके मुकाबले सामान्य वर्ग का नामांकन तेजी से घटकर सिर्फ 39% रह गया है. IIM उदयपुर के सेंटर फॉर डेवलपमेंट पॉलिसी एंड मैनेजमेंट ने 2010-11 से 2022-23 तक के ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन (AISHE) डेटा का विश्लेषण किया.
बड़ा बदलाव
- 2010-11 में SC/ST/OBC छात्रों की हिस्सेदारी: 43.1%
- 2022-23 में हिस्सेदारी बढ़कर: 60.8%
- सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी 57% से घटकर: 39%
- अध्ययन में बताया गया कि पिछले साल आरक्षित वर्ग के छात्रों का नामांकन सामान्य वर्ग से करीब 95 लाख ज्यादा रहा.
सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में एक जैसी स्थिति
सरकारी संस्थानों में SC/ST/OBC छात्रों की हिस्सेदारी: 62.2%
निजी संस्थानों में: 60%
मेरिट पर भी आगे आ रहे SC/ST/OBC छात्र
रिपोर्ट का अहम पहलू यह है कि SC, ST और OBC वर्ग के कई छात्र अब आरक्षित सीटों के अलावा सामान्य कैटेगरी की सीटों पर भी चयन पा रहे हैं. इससे साफ है कि इन वर्गों में शिक्षा का स्तर और प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ी है.
क्रीमी लेयर पर उठा नया सवाल
अध्ययन में पूर्व CJI बी.आर. गवई के उस बयान का भी जिक्र है जिसमें उन्होंने SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर लागू करने की जरूरत पर जोर दिया था. उनका कहना था कि बार-बार एक ही आर्थिक रूप से मजबूत परिवार आरक्षण का लाभ ले रहा है, जिससे कमजोर वर्ग पीछे छूट रहा है.
क्या बोले एक्सपर्ट्स?
अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर वेंकट रमनन कृष्णमूर्ति का कहना है कि अब उच्च शिक्षा में SC/ST/OBC छात्रों की उपस्थिति सामान्य वर्ग की तुलना में काफी अधिक हो गई है. यह बदलाव हर राज्य, हर विषय और हर संस्थान में दिख रहा है. सह-लेखक त्यागराजन ने कहा क्रीमी लेयर का मुद्दा अब और गंभीर हो गया है. जरूरतमंद छात्रों तक लाभ पहुंचाना सबसे जरूरी है.
सामान्य वर्ग का नामांकन लगातार गिरता हुआ
रिपोर्ट में बताया गया है कि सामान्य वर्ग का नामांकन सभी राज्यों में घट रहा है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में यह अंतर और बढ़ सकता है.
क्या है इस बदलाव का बड़ा मतलब?
उच्च शिक्षा अब पहले की तुलना में ज्यादा समावेशी हो चुकी है. आरक्षित वर्ग के छात्र केवल संख्या में ही आगे नहीं बढ़ रहे, बल्कि मेरिट में भी मजबूत उपस्थिति दिखा रहे हैं. सामाजिक संतुलन और अवसरों की तस्वीर आने वाले वर्षों में और बदल सकती है.
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Source: IOCL






















