यूपी के अस्पताल में बड़ी लापरवाही, ढाई साल के बच्चे के घाव पर टांके की जगह लगा दी फेवीक्विक
Meerut News: बच्चे की मां इरविन कौर के अनुसार, ‘फेवीक्विक’ के चोट पर लगते ही बच्चा जोर से चिल्लाने लगा और दर्द कम होने के बजाय बढ़ गया. उन्होंने आरोप लगाया कि रात भर बच्चे की हालत खराब रही.

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के एक निजी अस्पताल में ढाई साल के बच्चे के घाव पर टांके लगाने के बजाय कथित रूप से ‘फेवीक्विक’ लगाने का मामला सामने आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने एक समिति गठित कर जांच का आदेश दिया. एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. परिजनों ने आरोप लगाया कि आपातकालीन कक्ष में मौजूद स्टाफकर्मियों ने बच्चे की चोट पर ‘फेवीक्विक’ डाल दी, जिससे बच्चा पूरी रात दर्द से तड़पता रहा.
जागृति विहार एक्सटेंशन निवासी जसप्रिंदर सिंह सोमवार देर रात अपने ढाई वर्षीय बेटे मनराज को टेबल से टकराने के बाद आई चोट के उपचार के लिए ‘भाग्यश्री अस्पताल’ लेकर गए थे. परिजनों ने आरोप लगाया कि चोट से लगातार खून बह रहा था और आपातकालीन कक्ष में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा कि इस दौरान वार्ड बॉय ने ‘फेवीक्विक’ मंगवाई और विरोध के बावजूद बच्चे के घाव पर लगा दी.
बच्चे की मां इरविन कौर के अनुसार, ‘फेवीक्विक’ के चोट पर लगते ही बच्चा जोर से चिल्लाने लगा और दर्द कम होने के बजाय बढ़ गया. उन्होंने आरोप लगाया कि रात भर बच्चे की हालत खराब रही और अगले दिन उसे लोकप्रिय अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सक ने घाव की दोबारा सफाई कर चार टांके लगाए. कौर ने कहा कि घाव पर चिपका पदार्थ सूखकर कठोर हो गया था, जिससे बच्चे को असहनीय दर्द हो रहा था.
परिजनों का यह भी आरोप है कि प्राथमिक उपचार के दौरान बच्चे को टिटेनस का इंजेक्शन देने से भी मना कर दिया गया. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से शिकायत की, जहां स्टाफ ने उपचार को सही बताते हुए कहा कि इस पर विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है. मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कटारिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शिकायत प्राप्त होने के बाद जांच के लिये दो सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है, जिसमें एक सर्जन भी शामिल है. उन्होंने बताया, “इस मामले में उपचार की विधि सही थी या नहीं, इसकी जांच कराई जा रही है. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.”
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