अब भगवान सुनेंगे फरियाद! एक हाथ में ज्ञापन और दूसरे हाथ में श्रीफल, दंडवत यात्रा पर दिव्यांग
UP News: अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से हताश दिव्यांगों भगवान कामतानाथ को अपनी फरियाद सुनाने के लिए हाथ में श्रीफल और ज्ञापन लेकर दंडवत यात्रा पर हैं.

डीएम से लेकर सीएम तक फरियादियों द्वारा ज्ञापन देने के मामले तो अक्सर सुने और देखे जाते हैं, लेकिन बुंदेलखंड के महोबा में हाल ही में एक अनोखा प्रदर्शन देखने को मिला. यहां के दिव्यांगों ने स्थानीय समस्याओं और 27 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासन से निराश होकर भगवान कामतानाथ के नाम पर ज्ञापन देने का अनोखा तरीका अपनाया है.
आपको बता दें कि सौरा गांव के जंगल में रहने वाले दिव्यांग महा त्यागी राम जी दास अपने चार साथियों के साथ जमीन पर लेटे हुए एक हाथ में ज्ञापन की कॉपी और दूसरे हाथ में भगवान के लिए श्रीफल लेकर चित्रकूट के लिए दंडवत निकल पड़े. उनका कहना है कि स्थानीय प्रशासन और शासन के अधिकारी उनकी मूलभूत जरूरतों और योजनाओं की मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
दिव्यांगों की ये हैं प्रमुख मांग
उन्होंने बताया कि इस ज्ञापन में जिसमें लिखा है "सेवा में भगवान कामतानाथ जी सरकार" सभी दिव्यांगजनों के निशुल्क घरेलू कनेक्शन, रोजगार हेतु ई-रिक्शा और ऑटो टेंपो परमिट, बिना ब्याज का लोन, ₹5000 मासिक पेंशन, आवास, आरक्षण कोटा बढ़ाकर 10% करने जैसी मांगें शामिल हैं. राम जी दास ने कहा कि जो भगवान सभी को समान देखता है, वही अधिकारी-कर्मचारी उन्हें हीन भावना से देख रहे हैं, शायद यही वजह है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो रही हैं.
"कई बार ज्ञापन देने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई"
महंत ने बताया कि पिछले एक साल से अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताते-बताते थक गए हैं, क्योंकि योजनाओं का लाभ सीधे उनके पास नहीं पहुंच रहा. विकलांग कल्याण समिति के अध्यक्ष मुकेश कुमार भारती ने भी कहा कि कई बार ज्ञापन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए अब उन्हें भगवान कामतानाथ की शरण में जाना पड़ा है.
विकलांगों ने उम्मीद जताई कि भगवान के चरणों में उनका यह ज्ञापन अधिकारियों को सद्बुद्धि प्रदान करेगा और उनकी मांगें पूरी होंगी. आने वाले एक माह में पहुंचकर भगवान के पास ज्ञापन रखकर अपनी गुहार सुनाएंगे. बहरहाल,यह प्रदर्शन न केवल संघर्ष का प्रतीक है बल्कि यह दिखाता है कि जब प्रशासन सुनने में असफल होता है, तो समाज के कमजोर वर्ग अपनी आस्था और साहस से भी अपनी आवाज उठा सकते हैं.
Source: IOCL





















