'दण्ड शास्ति प्रजा...', बहराइच हिंसा मामले के फैसले में कोर्ट ने मनुस्मृति का किया जिक्र
Bahraich Violence: अदालत ने मनुस्मृति का हवाला देते हुए कहा कि समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए कठोर दंड आवश्यक है. अपराधियों को दंडित करना न्याय और जनहित की रक्षा का प्रमुख आधार है.

बहराइच 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन यात्रा के दौरान हुई रामगोपाल मिश्रा हत्या के मामले में अदालत ने गुरुवार (11 दिसंबर) फैसला सनाते हुए मुख्य आरोपी सरफराज उर्फ रिंकू को मौत की सजा सुनाई. वहीं अन्य नौ आरोपियों अब्दुल हमीद, फहीम, तालिब उर्फ सबलू, सैफ अली, जावेद खान, जिशान उर्फ राजा, शोएब खान, ननकऊ और मारूफ अली को आजीवन कारावास की सजा दी गई. सभी आरोपियों को जिला कारागार से अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने अपने फैसले में मनुस्मृति का भी जिक्र किया.
अदालत के फैसले के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने यह स्पष्ट किया कि यह हत्या किसी सामान्य विवाद का परिणाम नहीं थी, बल्कि यह अत्यधिक क्रूरता और योजनाबद्ध तरीके से की गई जघन्य घटना थी. सरकारी वकील ने कहा कि यह हत्या ‘ब्रूटेलिटी’ और ‘हिनियसनेस’ का चरम उदाहरण है. उन्होंने बताया कि मृतक रामगोपाल मिश्रा पर 7 से 8 राउंड फायरिंग की गई, शरीर पर लगभग 40 प्रवेश वाउन्ड और 2 निकास वाउन्ड पाए गए. इसके अलावा दोनों पैरों के अंगूठों को जलाकर डीप बर्न दिया गया और नाखून खींचे गए, जो हत्या की क्रूरता को और बढ़ाते हैं.
प्रजा के हित के लिए दंड व्यवस्था नितांत आवश्यक- मनुस्मृति
अदालत ने मनुस्मृति का हवाला देते हुए कहा, "दण्ड शास्ति प्रजाः सर्वा दण्ड एवाभिरक्षति, दण्ड सुप्तेषु जागर्ति, दण्ड धर्म विदुर्वधा." अर्थात् समाज और प्रजा के हित के लिए दंड व्यवस्था नितांत आवश्यक है. मनु स्मृति में कहा गया है कि दंड के भय से लोग अपने धर्म और कर्तव्य से विचलित नहीं होते और यह समाज में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने का साधन है. इस दृष्टि से अपराधियों को उचित दंड देना न्याय और समाज हित में आवश्यक माना गया है.
अपराधियों को दिया जाना चाहिए कठोर दंड- सरकारी वकील
अभियोजन ने यह भी बताया कि हत्या का उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक वर्चस्व स्थापित करना था. इस घटना के बाद पूरे शहर में दहशत फैल गई. स्कूल बंद हो गए, इंटरनेट तीन दिन तक बंद रहा और सुरक्षा बनाए रखने के लिए RAF और PAC की तैनाती करनी पड़ी. शहर में सामान्य स्थिति लौटने में एक महीने का समय लगा. सरकारी वकील ने कहा कि यह घटना ‘मां भारती पर प्रहार’ जैसी है और अपराधियों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए, ताकि समाज में यह संदेश जाए कि कानून के खिलाफ कोई भी अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
यह हत्या पूरी तरह से योजनाबद्ध थी- कोर्ट
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह आरोपियों का पहला अपराध है और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, इसलिए उन्हें कम सजा और जुर्माने पर विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों को ध्यानपूर्वक सुना और अपने रिकार्ड की समीक्षा की. कोर्ट ने कहा कि यह हत्या पूरी तरह से योजनाबद्ध थी. दोषियों ने रामगोपाल मिश्रा को उनके घर से खींचकर बाहर ले जाकर सरफराज ने लाइसेंसी बंदूक से फायरिंग की. मृतक का ऊपरी शरीर इतनी गंभीर स्थिति में था कि उसे छन्नी जैसा बताया गया. अदालत ने इसे जघन्य, क्रूर और ठंडे दिमाग से की गई हत्या करार दिया.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मृत्युदंड केवल ‘Rarest of Rare’ मामलों में ही दिया जाता है, जिसमें अपराध की प्रकृति और अपराधियों की परिस्थितियों का संतुलन देखना आवश्यक होता है. अदालत ने अपने निर्णय में पूर्व के ऐतिहासिक मामलों जैसे बचन सिंह और मच्छी सिंह के फैसलों का हवाला दिया.
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