Rajasthan News: देश में बढ़ते रेप केस पर CM गहलोत ने जताई चिंता, कहा- राजस्थान में आरोपियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
जयपुर में सीएम आवास पर आयोजित बैठक में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म के पंजीकृत अपराधों में राजस्थान 12वें नंबर पर है.

Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने देश में नाबालिग बालिकाओं के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार प्रदेश में अपराध की रोकथाम और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के लिए गंभीर है. प्रदेश में अपराध नियंत्रण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. आमजन को तत्काल न्याय दिलाने और अपराधियों में भय पैदा करने के लिए राज्य सरकार पुलिस के सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण में प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. प्रदेश में संगठित अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
देश में बढ़ रहे दुष्कर्म के मामले
जयपुर में सीएम आवास पर आयोजित बैठक में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म के पंजीकृत अपराधों में राजस्थान 12वें नंबर पर है. अधिकारियों ने बताया कि बालिग लड़कियों व महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों में सख्त कानून के बाद भी देश में दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं. सबसे ज्यादा मामले पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में दर्ज हुए हैं. इसके पश्चात राजस्थान में सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि, राज्य में आधे से ज्यादा मामले जांच में झूठे पाए गए हैं.
एक्शन लेने में राजस्थान अव्वल
बलात्कार के मामलों में राजस्थान में सजा का परसेंटेज 47.9 % है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 28.6 % है. कुल महिला अत्याचार के मामलों में राजस्थान में सजा का परसेंटेज 45.2 % है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 % है. इन्हीं मामलों में राजस्थान में जांच के लिए पेंडिंग मामसों का परसेंटेज 9.6 % है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 31.7 % है. आईपीसी के मामलों में राजस्थान में जांच हेतु प्रकरणों का पेंडिंग परसेंटेज 10.1 % है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 35.1 % है.
महिला अत्याचार मामलों में सरकार गंभीर
गहलोत सरकार संवेदनशीलता के साथ महिलाओं और अनुसूचित जाति व जनजाति को राहत प्रदान करने की दिशा में तत्काल कार्यवाही कर रही है. महिला अत्याचार मामलों के अनुसंधान में भी कमी आई है. 2022 में ऎसे मामलों में औसतन 65 दिनों में जांच पूरी की गई. जबकि वर्ष 2021 में यह समय 110 दिन, वर्ष 2019 में 135 दिन और 2018 में 169 दिन था. वहीं, एससी-एसटी प्रकरणों में वर्ष 2018 में 231 दिन, वर्ष 2019 में 163 दिन, वर्ष 2021 में 121 दिन और वर्ष 2022 में जुलाई तक के प्रकरणों में सिर्फ 75 दिनों में ही जांच पूरी कर राहत प्रदान की गई.
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Source: IOCL























