एक्सप्लोरर
Advertisement
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Rajasthan: 'राइट टू हेल्थ बिल' पर जारी विवाद के बीच राजस्थान IMA ने सरकार के सामने रखी मांग, क्या है आपत्ति?
Rajasthan IMA: राजस्थान आईएमए ने 'राइट टू हेल्थ बिल' पर आपत्तियां गहलोत सरकार के सामने रखी है. उसका कहना है कि मरीजों और डॉक्टरों के हितों का हनन नहीं होना चाहिए.
![Rajasthan: 'राइट टू हेल्थ बिल' पर जारी विवाद के बीच राजस्थान IMA ने सरकार के सामने रखी मांग, क्या है आपत्ति? Doctors against Right To Health Bill Rajasthan IMA Demand from government ANN Rajasthan: 'राइट टू हेल्थ बिल' पर जारी विवाद के बीच राजस्थान IMA ने सरकार के सामने रखी मांग, क्या है आपत्ति?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/25/0952a68b7ec4a74932c374d0e7db84991674641350647211_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
('राइट टू हेल्थ बिल' के विरोध में डॉक्टर्स, फाइल फोटो)
Rajasthan Right To Health Bill: राजस्थान में 'राइट टू हेल्थ बिल' पर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. निजी अस्पतालों ने 12 घंटे ओपीडी बंद रखकर विरोध जताया था. मोर्चा संभाले डॉक्टरों ने बिल को ‘किल बिल’ बताया है. राजस्थान आईएमए ने सरकार के सामने कुछ आपत्तियां रखी हैं. उसका तर्क है कि मरीजों और डॉक्टरों के हितों का हनन नहीं होना चाहिए. आपको बता दें कि राजस्थान राइट टू हेल्थ बिल लाने वाला देश का पहला राज्य है.
'राइट टू हेल्थ बिल' पर क्या है आपत्ति?
- वित्तीय प्रावधानों के बिना निजी स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त इलाज की बाध्यता परेशान करनेवाली है.
- निजी स्वास्थ्य संस्थानों में पूर्व भुगतान के बिना सभी आपात स्थितियों का इलाज करने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए.
- दुर्घटना पीड़ितों के लिए मुफ्त रेफरल परिवहन सुविधा की व्यवस्था सरकार की तरफ से होनी चाहिए.
- दुर्घटना पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज के लिए सरकार की तरफ से उचित शुल्क प्रतिपूर्ति प्रक्रिया होनी चाहिए.
- जिला स्वास्थ्य समिति में ग्राम प्रधान और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि डॉक्टरों के खिलाफ पूर्वाग्रही और पक्षपाती हो सकते हैं.
- राज्य एवं जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण में डॉक्टरों को ही सदस्य बनाया जाए. शिकायतों की जांच के लिए केवल विषय विशेषज्ञों को ही रखा जाए.
- सभी प्राधिकरणों में निजी, सरकारी डॉक्टरों और आईएमए के प्रतिनिधि शामिल किए जाएं.
- शिकायत निवारण में प्राधिकरण की तरफ से अधिकृत किसी भी अधिकारी को किसी भवन या स्थान में प्रवेश करने, तलाशी लेने और जब्त करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.
- मुफ्त दुर्घटना आपातकालीन उपचार और अन्य मुफ्त उपचार केवल सरकारी अस्पतालों और नामित अस्पतालों में ही निर्दिष्ट किए जाने चाहिए.
- रोगियों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए.
- डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के अधिकार स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध और आरक्षित होने चाहिए.
- डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए.
- निजी अस्पतालों पर राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं से जुड़ने की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बाध्यता नहीं होनी चाहिए.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, राज्य और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें Khelo khul ke, sab bhool ke - only on Games Live
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
विश्व
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
बॉलीवुड
क्रिकेट
Advertisement
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/68e69cdeb2a9e8e5e54aacd0d8833e7f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
Opinion