MP News: राजा रघुवंशी के खास सपने को परिवार ने हकीकत में बदला, इंदौर में शुरू किया ढाबा
Madhya Pradesh News: इंदौर के चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड के बाद परिवार ने बेटे की याद में कट रोड पर ‘राजा भोज ढाबा’ शुरू किया है. यह ढाबा राजा के अधूरे सपने का प्रतीक बन गया है.

इंदौर के चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड के बाद जहां पूरा शहर स्तब्ध था, वहीं राजा के परिवार ने दुख को ताकत में बदलते हुए एक ऐसी पहल की है, जो लोगों के दिल को छू रही है. कट रोड पर शुरू किया गया ‘राजा भोज ढाबा’ अब सिर्फ एक ढाबा नहीं, बल्कि राजा की यादों, उसके सपनों और उसके साहस की पहचान बन गया है.
बेटे का अधूरा सपना, जिसे परिवार ने किया पूरा
राजा रघुवंशी के भाई विपिन रघुवंशी बताते हैं कि राजा की शादी से पहले ही उसके नाम पर ढाबा खोलने की योजना थी. राजा खुद चाहता था कि उसका एक छोटा सा ढाबा हो, जहां लोग अच्छे खाने के साथ सुकून महसूस करें. लेकिन शादी की तैयारियों और दूसरी व्यस्तताओं के चलते यह सपना अधूरा रह गया. इस हत्याकांड के बाद परिवार ने तय किया कि राजा का सपना यूं अधूरा नहीं छोड़ा जाएगा. जिस जमीन को राजा पसंद करता था, उसे लीज पर लिया गया और करीब तीन महीने की मेहनत के बाद ‘राजा भोज ढाबा’ तैयार किया गया.
ढाबे के मुख्य द्वार पर लगी एक बड़ी शेर की तस्वीर हर किसी का ध्यान खींचती है. परिवार का कहना है कि यह तस्वीर सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि राजा के स्वभाव का प्रतीक है. राजा निडर और साहसी था. अगर हालात अलग होते तो वह हर मुश्किल का सामना शेर की तरह डटकर करता. यही सोच शेर की तस्वीर के जरिए लोगों तक पहुंचाई गई है.
राजा की पसंद का स्वाद, हर प्लेट में उसकी याद
‘राजा भोज ढाबा’ में वेज और नॉनवेज दोनों तरह के खाने की व्यवस्था है. मेन्यू में खास तौर पर राजा की पसंदीदा डिशेज रखी गई हैं. तंदूरी चिकन, पनीर टिक्का और दाल मखनी यहां की खास पहचान होंगी. परिवार चाहता है कि जब भी कोई यहां खाना खाए, उसे राजा की पसंद और उसकी याद जरूर आए. इस ढाबे के उद्घाटन के दौरान माहौल भावुक हो गया. परिवार ने राजा की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर उसे श्रद्धांजलि दी. आंखों में आंसू थे, लेकिन चेहरे पर संतोष भी था कि राजा का सपना आखिरकार हकीकत बन गया.
राजा की हत्या हनीमून के दौरान मेघालय में हुई थी. इस मामले में उसकी पत्नी सोनम और उसके साथियों पर मुकदमा चल रहा है. परिवार का कहना है कि वे न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ेंगे. उनके लिए ‘राजा भोज ढाबा’ सिर्फ रोजगार का जरिया नहीं, बल्कि राजा की सकारात्मक पहचान को जिंदा रखने का एक मजबूत प्रयास है.
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Source: IOCL
























