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Ganesh Chaturthi 2022: त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने की थी चिंतामण गणेश की स्थापना, जानें मंदिर से जुड़ी रोचक पौराणिक कथा
Ujjain News: उज्जैन स्थित चिंतामण गणेश मंंदिर में उत्सव के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. यहां जानें मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा.
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Chintaman Ganesh Temple: गणेश चतुर्थी को लेकर घर-घर में खुशी का माहौल है. जिनके दर्शन करने से चिंताएं दूर होती है और मन की इच्छा भी पूर्ण होती है इतना ही नहीं सारे कार्य सिद्ध होते हैं. ऐसे चिंतामण गणेश मंदिर में गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. भगवान शिव की नगरी उज्जैन में चिंतामण गणेश मंदिर स्थित है, इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.
उज्जैन से 10 किलोमीटर दूर चिंतामण गणेश मंदिर स्थित है यहां पर भगवान श्री गणेश की तीन प्रतिमाएं स्थापित है. चिंतामन मंदिर के गणेश पुजारी बताते हैं कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता वनवास पर निकले थे, उस समय उन्होंने उज्जैन के समीप भगवान श्री गणेश की स्थापना की थी. भगवान श्री राम उस समय काफी चिंतित थे, उनकी चिंता दूर करने के लिए यहां पर चिंतामण गणेश की स्थापना की गई. इसके अलावा भगवान लक्ष्मण ने इच्छामन गणेश की स्थापना की और माता सीता ने सिद्धि विनायक गणेश को स्थापित किया. चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूपों के दर्शन होते हैं. यहां पर दर्शन करने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गणेश उत्सव के दौरान दो भक्तों का तांता लगा रहता है.
चिंतामण गणेश मंदिर में लक्ष्मण बाणगंगा भी विराजित
चिंतामण गणेश मंदिर में लक्ष्मण बाणगंगा भी मौजूद है. पंडित गणेश गुरु के मुताबिक जब चिंतामण गणेश, इच्छा मन गणेश और सिद्धिविनायक गणेश की स्थापना करने के बाद जब इनके जलाभिषेक की जरूरत पड़ी तो भगवान श्री राम के निर्देश पर लक्ष्मण ने बाण चलाकर गंगा को प्रकट किया था, इसलिए इस बावड़ी का नाम बाणगंगा रखा गया है.
मांगलिक कार्यों का प्रथम निमंत्रण चिंतामण गणेश को
भगवान चिंतामण गणेश के दरबार में मांगलिक कार्यों का सबसे प्रथम निमंत्रण आता है. यहां पर विवाह समारोह से लेकर अन्य मांगलिक कार्यों का निमंत्रण सबसे पहले चिंतामन गणेश को दिया जाता है, जिसके बाद निमंत्रण पत्र वितरित किए जाते हैं. श्रद्धालु सारिका सिंह ने बताया कि विवाह समारोह संपन्न होने के बाद दूल्हा-दुल्हन भी आशीर्वाद देने के लिए यहां पर आते हैं. सभी मांगलिक कार्यों का प्रथम निमंत्रण चिंतामण गणेश भगवान को देखकर ही शुरुआत की जाती है.
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