अजमेर दरगाह पर हुर्रियत नेता मीरवाइज बोले, 'मामला उतना सीधा नहीं है जितना ये नजर आ रहा है'
Jammu Kashmir News: श्रीनगर जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' बरकरार नहीं है.

Mirwaiz Umar Farooq On Ajmer Dargah: राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह में मंदिर के दावे को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है. याचिका पर 20 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी है. इस बीच हुर्रियत कॉन्फ्रेस के नेता और श्रीनगर जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने भी केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अजमेर दरगाह 800 साल से वहां कायम है. हम इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि किसी एक के कहने पर कैसे कोर्ट सर्वे करने का हुक्म दे सकता है.
मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, ''जैसा कि आप जानते हैं, उत्तर प्रदेश के संभल में 500 साल पुरानी शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण करने के लिए अदालत ने आदेश दिए थे. इस दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच मुसलमान शहीद हो गए. अभी ये जख्म ताजा ही था कि राजस्थान के अजमेर की एक अन्य अदालत ने राज्य की प्रतिष्ठित अजमेर शरीफ दरगाह का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया.''
Jammu and Kashmir: Mirwaiz Umar Farooq, the chief of Srinagar Jama Masjid says, "As you are aware, five Muslim youth were killed in police firing during a survey of the 500-year-old Shahi Jama Masjid in Sambhal, Uttar Pradesh. The survey was ordered by the court. The killing of… pic.twitter.com/09C4sdAZZi
— IANS (@ians_india) November 29, 2024
श्रीनगर जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज ने उठाए सवाल
उन्होंने आगे कहा, ''ज्ञानवापी मस्जिद का भी अदालती आदेशों के तहत सर्वेक्षण किया गया था. आपने देखा कि बाबरी मस्जिद के साथ क्या हुआ था. ऐसा लगता है कि एक जानबूझकर पैटर्न है जहां पहले संदेह उठाया जाता है, उसके बाद अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण किया जाता है, और फिर बहुमत का दावा किया जाता है. हम ये महसूस कर रहे हैं कि ये मामला उतना सीधा नहीं है जितना ये नजर आ रहा है. ये कोई मिलीभगत तो नहीं है?''
अजमेर दरगाह 800 साल से वहां कायम-मीरवाइज उमर फारूक
श्रीनगर जामा मस्जिद के प्रमुख ने आरोप लगाते हुए कहा, ''मुसलमानों के जज्बातों को कमजोर करने की साजिश हो रही है. आप जानते हैं कि अजमेर की जो दरगाह है उसके साथ करोड़ों मुसलमानों का जुड़ाव है. ये दरगाह 800 साल से वहां कायम है. जम्मू-कश्मीर के हजारों मुसलमान भी वहां जाते हैं.''
'क्या प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बरकरार नहीं'
उन्होंने ये भी कहा कि हम ये सवाल पूछना चाहते हैं कि क्या हिंदुस्तान एक सेक्युलर मुल्क नहीं है. क्या प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बरकरार नहीं है. बार-बार ऐसा माहौल क्यों बनाया जा रहा है, जिससे फसाद को जन्म देने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि अदालत में याचिका दायर की गई है , जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी.
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Source: IOCL





















