Himachal Pradesh: सुक्खू सरकार पर बिजली बिलों का सियासी 'करंट', मंत्रियों को थमाए गए लाखों के बिल
Himachal Electricity Bill: 17 लाख से ज्यादा के बिजली बिल पर विपक्ष ने सदन में सरकार को घेरा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोले- बिलिंग में गड़बड़ी हुई है, आगे स्मार्ट मीटर लगेंगे.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा से लेकर सियासी गलियों तक इन दिनों बिजली बिलों को लेकर जमकर चर्चा हो रही है. मामला तब तूल पकड़ गया जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके मंत्रियों को लाखों रुपये के बिजली बिल थमाए गए. विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया तो खुद मुख्यमंत्री को सामने आकर सफाई देनी पड़ी.
ओक ओवर के बिल पर उठे सवाल
मुख्यमंत्री सुक्खू के शिमला स्थित सरकारी आवास ओक ओवर का बिजली बिल 14 महीनों में 3 लाख 76 हजार 174 रुपये आया है. सरकार ने यह रकम अदा भी कर दी. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. जब कैबिनेट मंत्रियों के आवासों के बिलों को जोड़ा गया तो यह आंकड़ा करीब 17 लाख 95 हजार 879 रुपये पहुंच गया.
आरएस बाली का बिल सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर हुई कि मुख्यमंत्री से भी अधिक बिजली बिल कैबिनेट रैंक प्राप्त एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली का आया. उनका बिजली बिल पूरे 6 लाख 78 हजार 892 रुपये का है. यह आंकड़े भाजपा विधायक सुधीर शर्मा और केवल सिंह पठानिया द्वारा सदन में पूछे गए सवाल पर सामने आए.
लगाए जाएंगे स्मार्ट मीटर- मुख्यमंत्री
जब मामला गरमाया तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कई मंत्रियों को 14 महीने का ज्यादा बिल थमा दिया गया है. इसमें एरियर भी जोड़ दिए गए हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आरएस बाली शिमला में ज्यादा रहते भी नहीं हैं, फिर भी उनका बिल 6 लाख से ऊपर आया.
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में स्मार्ट और प्री-पेड मीटर लगाए जाएंगे ताकि उपभोक्ताओं को सही बिल मिले. साथ ही विभागीय खामियों की जांच भी करवाई जाएगी.
'छवि खराब करने की कोशिश'- आरएस बाली
आरएस बाली ने सदन में इस मुद्दे को प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत उठाया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि विभाग की गलती या किसी की साजिश के चलते उन्हें ज्यादा बिल थमाया गया. बाली का कहना है कि उन्हें 1.68 लाख की जगह 6.78 लाख का बिल जारी हुआ. इसी तरह ओक ओवर का भी 1.47 लाख की जगह 3.76 लाख का बिल बना.
बाली ने साफ कहा कि ज्यादा बिल की वजह से उनकी छवि खराब हुई. उन्होंने यह भी ऐलान किया कि आगे से अपने सरकारी आवास का बिजली बिल निजी तौर पर खुद चुकाएंगे.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वैसे भी वह सरकार को निजी बिल के रूप में हर साल 1 करोड़ 75 लाख रुपये अदा करते हैं और यहां तक कि अपने क्षेत्र की 170 स्ट्रीट लाइट्स का खर्चा भी खुद उठाते हैं.
बिजली बिलों के इस पूरे विवाद ने विधानसभा में भी गर्मी पैदा कर दी है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए सवाल खड़े किए कि जब आम जनता बिजली सब्सिडी छोड़ने से परेशान है, तब सरकार और मंत्री कैसे लाखों के बिल चुका रहे हैं.
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