1984 सिख विरोधी दंगा मामला: सज्जन कुमार की याचिका पर सुनवाई, HC ने CBI से मांगा जवाब
Delhi 1984 Anti Sikh Riot Case: सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की. उनके वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि उनका नाम शुरुआत में दर्ज FIR में नहीं था बल्कि जांच के बाद में जोड़ा गया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सरस्वती विहार केस में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार की अपील पर सुनवाई करते हुए जांच एजेसी सीबीआई को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सीबीआई को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है और मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी 2026 तय की है.
राउज एवेन्यू कोर्ट ने कब सुनाई थी सज्जन कुमार को सजा
राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस साल 12 फरवरी को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था और 25 फरवरी को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की. सज्जन कुमार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि उनका नाम शुरुआत में दर्ज FIR में नहीं था बल्कि जांच के बाद बाद में जोड़ा गया.
1 नवंबर 1984 का है मामला
यह मामला 1 नवंबर 1984 का है जब राजधानी के राज नगर, पश्चिम दिल्ली इलाके में सिख समुदाय के दो सदस्यों सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम करीब 4 से 4:30 बजे के बीच एक भीड़ उनके घर पर लोहे की रॉड और डंडों से हमला करने पहुंची थी. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक यह भीड़ सज्जन कुमार के नेतृत्व में आई थी जो उस समय आउटर दिल्ली से कांग्रेस के सांसद थे. आरोप है कि उन्होंने लोगों को भड़काया जिसके बाद भीड़ ने दोनों पीड़ितों को जिंदा जला दिया. भीड़ ने घर में तोड़फोड़ की लूटपाट की और आगजनी की.
पीड़ितों ने रंजनाथ मिश्रा आयोग को दिया था हलफनामा
इस घटना को लेकर पीड़ितों ने रंजनाथ मिश्रा आयोग के सामने हलफनामा दिया था, जिसके आधार पर सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज हुई. इस एफआईआर में दंगा, हत्या, हत्या की कोशिश, लूट, आगजनी और संपत्ति नष्ट करने जैसे कई गंभीर आरोप शामिल हैं, जिनके तहत सज्जन कुमार पर मुकदमा चला. अब हाईकोर्ट में सज्जन कुमार ने सजा को चुनौती देते हुए कहा है कि उन्हें गलत तरीके से मामले में फंसाया गया है. अदालत की अगली सुनवाई में यह साफ होगा कि CBI इस पर क्या जवाब देती है.
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