Delhi: IKS सम्मेलन के बीच जेएनयू में बवाल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के काफिले को रोकने की कोशिश
Delhi JNU Protest: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 15वें दिन की भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम का विरोध किया. छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर नाराजगी जताई.

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में गुरुवार को उस वक्त हलचल मच गई, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दौरे के दौरान कुछ छात्रों ने उनके काफिले को रोकने की कोशिश की. इस पूरे घटनाक्रम की जेएनयू प्रशासन ने सख्त निंदा की है और इसे विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ बताया है.
सम्मेलन के लिए पहुंचे थे उपराष्ट्रपति
दरअसल, उपराष्ट्रपति जेएनयू में भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge Systems - IKS) पर आयोजित पहली वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने पहुंचे थे. उनके साथ केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी मौजूद थे. प्रशासन ने इस उच्चस्तरीय उपस्थिति को विश्वविद्यालय के लिए सम्मान की बात बताया और कहा कि उनके संबोधन से छात्रों और शिक्षकों को प्रेरणा मिली.
हालांकि, जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के 15 दिन से चल रही थी. जेएनयूएसयू के कुछ सदस्य उस कन्वेंशन सेंटर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे, जहां उपराष्ट्रपति मौजूद थे. उसी समय कुछ छात्रों ने उपराष्ट्रपति के काफिले को रोकने की कोशिश की, जिसे प्रशासन ने लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए निंदा की.
प्रशासन ने साफ किया कि उन्होंने इस घटना की जांच के लिए सुरक्षा शाखा से रिपोर्ट मांगी है और आगे कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. साथ ही छात्रों से शांतिपूर्ण संवाद और आपसी सम्मान बनाए रखने की अपील की गई.
छात्रों ने रखी अपनी मांग
वहीं छात्र संघ ने इस विरोध को अपने चल रहे आंदोलन का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन जेएनयू प्रवेश परीक्षा की बहाली, रिसर्च छात्रों को हॉस्टल सुविधा, अनुशासनात्मक कार्रवाइयों की वापसी और MCM फेलोशिप में प्रस्तावित कटौती के विरोध में किया गया था.
छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर जेएनयू सुरक्षा और दिल्ली पुलिस ने बर्बरता दिखाई. साथ ही उपराष्ट्रपति को आमंत्रित किए जाने पर भी आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि वे पहले संविधान विरोधी बयान दे चुके हैं.
बावजूद इसके, भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन अपने तय कार्यक्रम के अनुसार जारी है, जिसमें दर्शन, विज्ञान और कला के स्वदेशी स्वरूपों पर चर्चा हो रही है. अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को विश्व शक्ति बनने के लिए अपनी सांस्कृतिक और बौद्धिक परंपराओं को अपनाना होगा.
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Source: IOCL























