दिल्ली प्रदूषण के बीच TB ग्रसित कैदी को मिली राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने दी 15 दिन की अंतरिम जमानत
Delhi HC on Pollution: दिल्ली हाई कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिम को देखते हुए टीबी पीड़ित कैदी मोहम्मद शौकत अली को 15 दिन की अंतरिम जमानत दी है. पढ़िए पूरा मामला.

राजधानी दिल्ली में इन दिनों हवाओं में जहर घुली हुई है. जहां एक तरफ आम लोगों का सैर सपाटे तक के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है वहीं दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा उठाया गया एक कदम सुर्खियां बटोर रहा है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में बढ़ते खतरनाक वायु प्रदूषण के बीच टीबी से पीड़ित कैदी मोहम्मद शौकत अली उर्फ डॉली को स्वास्थ्य बिगड़ने के आधार पर 15 दिन की अंतरिम जमानत दी है. यह निर्णय दिल्ली की हवा में मौजूद जहरीले प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे गंभीर प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया. अदालत ने माना कि मौजूदा प्रदूषण स्तर जेल में बीमार कैदियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.
किसे मिली अंतरिम जमानत?
शौकत अली पर IPC 302 और समान मकसद से अपराध करने की धाराओं के तहत मामला दर्ज है, जिसके तहत उस पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं. हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि अपराध के आरोपों की गंभीरता के बावजूद किसी भी कैदी के स्वास्थ्य अधिकार न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं बन सकते. अदालत के सामने रखी गई मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट था कि वायु प्रदूषण ने उसके स्वास्थ्य को और अधिक नुकसान पहुंचाने की आशंका बढ़ा दी है. इसी आधार पर कोर्ट ने जमानत पर विचार को जरूरी माना.
क्या है कोर्ट का तर्क?
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि शौकत अली को इससे पहले भी राहत दी गई थी और उसने कभी इसका दुरुपयोग नहीं किया, जो उसे जमानत दिए जाने में महत्वपूर्ण आधार रहा. अदालत ने टिप्पणी की कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से नागरिकों के स्वास्थ्य पर अत्यंत गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. हवा में मौजूद विषाक्त तत्व खासकर श्वसन संबंधी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए जानलेवा हो सकते हैं. अदालत ने कहा कि प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को नजरअंदाज करना संभव नहीं है और रोगियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस फैसले के जरिए यह संकेत दिया कि वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है. अदालत ने कहा कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को प्रदूषण पर तुरंत और प्रभावी नियंत्रण के कदम बढ़ाने होंगे, क्योंकि मौजूदा स्थिति में सांस संबंधी बीमारियों के मरीज और ज्यादा जोखिम में हैं. कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जेलों में बंद मरीजों का स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आम नागरिकों का है. इस फैसले ने भविष्य में भी प्रदूषण के आधार पर स्वास्थ्य संरक्षण संबंधी संवैधानिक अधिकारों को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक उदाहरण स्थापित किया है.
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Source: IOCL






















