'सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि दलित...', मौलाना अरशद मदनी के बयान पर उदित राज का बड़ा बयान
UP News: कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि RSS और बीजेपी की विचारधारा ऐसे पदों पर सिर्फ संघ विचारधारा से जुड़े लोगों की ही नियुक्ति को बढ़ावा देती है, योग्यता के बजाय विचारधारा को तरजीह दी जा रही है.

जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता उदित राज ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. एएनआई से बातचीत में उदित राज ने कहा कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि दलित और ओबीसी समुदाय के लोगों को भी महत्वपूर्ण सरकारी पदों से योजनाबद्ध तरीके से दूर किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा देती है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट दिखाई देती है. उदित राज के अनुसार, देश की 48 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एक भी मुस्लिम, दलित या ओबीसी समुदाय से कुलपति नहीं है. इतना ही नहीं, देश के 159 शीर्ष संस्थानों में भी इन समुदायों की नियुक्तियां नहीं के बराबर हैं.
#WATCH | Delhi | On Jamiat Ulema-e-Hind President Maulana Arshad Madani's statement, Congress leader Udit Raj says, "Not only Muslims, but Dalits and OBCs are also being denied appointments. The central government claims "Sabka Saath Sabka Vikas," but only one particular caste is… pic.twitter.com/5sknpkCe0n
— ANI (@ANI) November 23, 2025
सिर्फ एक विशेष जाति को दिया जा रहा बढ़ावा- उदित राज
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा ऐसे पदों पर सिर्फ संघ विचारधारा से जुड़े लोगों की ही नियुक्ति को बढ़ावा देती है. उनका कहना है कि योग्यता के बजाय विचारधारा को तरजीह दी जा रही है, जिससे देश की सामाजिक संरचना पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. आतंकवाद से जुड़े लोगों पर कार्रवाई हो, लेकिन पूरी यूनिवर्सिटी को क्यों निशाना?.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर चल रही जांच का जिक्र करते हुए उदित राज ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता पाई जाती है तो उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन पूरे विश्वविद्यालय या पूरे समुदाय को निशाना बनाना पूरी तरह अनुचित है. उन्होंने कहा कि यह सरकार की एक बड़ी प्रवृत्ति बनती जा रही है कि किसी एक घटना के आधार पर पूरी संस्था को संदिग्ध बना दिया जाता है.
लैटरल एंट्री IAS भर्ती पर भी उदित राज ने उठाए सवाल
उदित राज ने हाल ही में हुई लैटरल एंट्री IAS भर्ती का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के विरोध के बाद यह प्रक्रिया कुछ समय के लिए रुकी थी, लेकिन अब सरकार ने इसे फिर से शुरू कर दिया और इसमें भी एक भी एससी, एसटी या ओबीसी उम्मीदवार को नहीं चुना गया. उनके अनुसार, यह साफ दिखाता है कि सरकार पिछड़े वर्गों को उच्च पदों से लगातार दूर रखने की नीति पर काम कर रही है.
समाज के बड़े हिस्से को किया जा रहा बाहर- राज
उदित राज ने दावा किया कि सरकारी नियुक्तियों से मुस्लिम, दलित और ओबीसी समुदाय को बाहर रखने का यह पैटर्न बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक और संवैधानिक चिंता का विषय है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि नियुक्तियों में पारदर्शिता बढ़ाई जाए, सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाए और सभी वर्गों को समान अवसर मिले.
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