'ऐसे सूत्र को...', बिहार मतदाता सूची में विदेशियों के नाम पर तेजस्वी का विवादित बयान, चुनाव आयोग पर उठाए सवाल!
Voter List: राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर दिल्ली से बिहार तक बवाल मचा हुआ है. अब मतदाता सूची में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों के नाम सामने आने पर सवाल और भी गंभीर हो गए हैं.

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान चुनाव आयोग ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बिहार में एसआईआर के दौरान घर-घर जाकर बीएलओ को बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले हैं जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से आए हैं. सूत्रों के हवाले से बिहार मतदाता सूची में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों के नाम सामने आने के बारे में पूछे जाने पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आपत्तिजनक बयान दे दिया है.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
तेजस्वी यादव ने कहा, "ये सूत्र कौन हैं? ये वही सूत्र हैं जिन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा कर लिया गया है. ये सूत्र को हम मूत्र समझते हैं. SIR आखिरी बार 2003 में UPA सरकार में किया गया था. तब कई चुनाव हुए हैं. उन चुनावों में हम 3-4 लाख वोटों से हारे हैं. क्या इसका मतलब है कि इन सभी विदेशियों ने पीएम मोदी को वोट दिया? इसका मतलब है कि मतदाता सूची में किसी भी संदिग्ध तत्व के नाम जुड़ने के लिए NDA दोषी है. इसका मतलब है कि उन्होंने जो भी चुनाव जीते हैं, वे सभी धोखाधड़ी वाले रहे हैं."
तेजस्वी यादव ने ये भी कहा कि जहां तक नेपाल की बात है तो बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है. बिहार पुलिस में नेपाली लोग हैं. आर्मी में नेपाली लोग हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जबसे मामले को संज्ञान में लिया है और जब से चुनाव आयोग को सलाह दी है, तब से उनके हाथ पांव फूले हुए हैं. अगर फर्जी वोटर हैं भी तो जिम्मेदारी किसकी है? चुनाव आयोग है और सरकार एनडीए की है. चुनाव आयोग राजनीतिक दल का प्रकोष्ठ बनकर काम कर रहा है"
कोर्ट में भी चल रही सुनवाई
बता दें कि राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर दिल्ली से बिहार तक बवाल मचा हुआ है. बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण मामले में सुनवाई की थी. चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची का सर्वेक्षण कार्य जारी रहेगा. साथ ही, कोर्ट ने चुनाव आयोग से एक हफ्ते में जवाब भी मांगा है कि इसमें आधार कार्ड को वेरिकेशन प्रूफ की सूची में क्यों नहीं रखा गया है.
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