MP Manoj Jha: 'कारोबारी सौदेबाजी वाली नौटंकी...', मनोज झा ने डोनाल्ड ट्रंप को बताया विरोधाभासी राष्ट्रपति, PM मोदी को किया आगाह
मनोज झा ने पीएम मोदी को आगाह करते हुए कहा कि भारत के लिए सबक साफ है कि चमक-दमक वाले परस्पर विरोधाभासी बयानों को दोस्ती का नया पैगाम ना समझा जाए. ट्रंप साहब की कूटनीति उनके ट्वीट्स जितनी ही अस्थिर है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पीएम मोदी को अपना दोस्त और खास साझेदार बताया है. उन्होंने कहा कि वह हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र रहेंगे. पीएम मोदी ने इस पर कहा कि वो ट्रंप की भावनाओं और भारत-अमेरिका संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की सराहना करते हैं. अब आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने शनिवार को पोस्ट कर इसे ट्रपं की कारोबारी सौदेबाजी वाली नौटंकी बताया है.
'अमेरिका के सबसे अस्थिर और विरोधाभासी राष्ट्रपती'
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि "डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे अस्थिर और विरोधाभासी राष्ट्रपतियों में से एक साबित हुए हैं और भारत ने इसे सीधे-सीधे बीते कुछ महीनों में महसूस किया है. कभी वे मोदी को “सच्चा दोस्त” कहते, हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप जैसे तमाशों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं, तो अगले ही पल भारत से व्यापारिक रियायतें छीन लेते, टैरिफ की धमकी देते और कश्मीर पर मध्यस्थता की लापरवाह बेतुकी बात कर बैठते हैं."
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे अस्थिर और विरोधाभासी राष्ट्रपतियों में से एक साबित हुए हैं और भारत ने इसे सीधे-सीधे बीते कुछ महीनों में महसूस किया है। कभी वे मोदी को “सच्चा दोस्त” कहते, हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप जैसे तमाशों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं , तो अगले ही पल…
— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) September 6, 2025
वहीं उन्होंने कहा, "सीजफायर पर उनके बार-बार के बयानों के तो क्या ही कहने? उनके हालिया बयान पर ताली पीटने वाले लोगों और मीडिया संस्थानों को भी ये समझना चाहिए कि यह कूटनीति नहीं है बल्कि कारोबारी सौदेबाजी वाली नौटंकी है. ट्रंप की राजनीति आज भारत के नाम जयकार और कल पाकिस्तान की तारीफ यह कोई रणनीति नहीं, बल्कि तात्कालिक स्वार्थ की भूख ही हुआ करती है."
पीएम मोदी को आगाह करते हुए मनोज झा ने क्या कहा?
मनोज झा ने पीएम मोदी को आगाह करते हुए कहा कि "भारत के लिए सबक साफ है कि चमक-दमक वाले परस्पर विरोधाभासी बयानों को दोस्ती का नया पैगाम ना समझा जाए. ट्रंप का कार्यकाल दिखाता है कि व्यक्तिगत शो-शा असली विदेश नीति का विकल्प नहीं हो सकता. अगर भारत को अमेरिका के साथ कदम से कदम मिलाना है तो वह संस्थाओं और दीर्घकालिक सहमति के साथ होना चाहिए, न कि दोनों ही तरह के आत्ममुग्ध नेतृत्व के ऑप्टिक्स पर भरोसा करके. सनद रहे कि ट्रंप साहब की कूटनीति उनके ट्वीट्स जितनी ही अस्थिर है. जय हिन्द".
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Source: IOCL
























