VIDEO: 'बिहार में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाएगी LJPR', चिराग पासवान के सांसद के बयान को समझिए
Bihar Politics: चुनावी साल में एलजेपीआर अपने अस्तित्व और अपनी पहचान को और मजबूत और बड़ा करने की रणनीति बना रही है. यानी कि पार्टी कहीं ना कहीं गठबंधन के अंदर ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी चाहती है.

LJPR MP Arun Bharti: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी एलजेपीआर की राज्य कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को पटना में हुई. यह बैठक प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी और सांसद अरुण भारती की अध्यक्षता में हुई. बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए. सबसे अहम बात जो निकल कर सामने आई वो ये है, कि पार्टी अब अपनी स्वतंत्र पहचान बनाना चाहती है. पार्टी के सांसद अरुण भारती के बयान पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि पार्टी अब एनडीए में रहकर अपनी ऑडियोलॉजी से समझौता नहीं करना चाहती है. अपनी पार्टी की शर्तों पर चलना चाहती है. हालांकि अरुण भारती ने ये भी साफ कहा है कि वो एनडीए के साथ बने रहेंगे.
कार्यकारिणी की बैठक के बाद बोले अरुण भारती
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में अरुण भारती ने कहा कि पार्टी की कार्यकारिणी समिति की बैठक पर एलजेपीआर नेता अरुण भारती ने कहा, "आज की कार्यकारिणी में पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरफ से 10 प्रस्ताव लाए गए थे जिस पर सर्वसम्मति से कार्यकारिणी ने इसे पास किया है. सबसे प्रमुख हमारी पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान जी को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किए जाने का प्रस्ताव लाया गया है." उन्होंने ये भी साफ कहा कि पार्टी एनडीए में रहकर चुनाव लड़ेगी, लेकिन अपनी एक स्वतंत्र पहचान बनाना चाहती है.
#WATCH पटना, बिहार: पार्टी की कार्यकारिणी समिति की बैठक पर एलजेपी-रामविलास नेता अरुण भारती ने कहा, "आज की कार्यकारिणी में पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरफ से 10 प्रस्ताव लाए गए थे जिस पर सर्वसम्मति से कार्यकारिणी ने इसे पास किया है। सबसे प्रमुख हमारी पार्टी के संस्थापक रामविलास… pic.twitter.com/EsPR3xtGOH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 16, 2025
अरुण भारती ने ये भी कहा कि बहुजन भीम समाज के बड़े नेता के तौर पर चिराग की पहचान स्थापित करने के लिए पूरे पार्टी के लोग बिहार में बहुजन भीम संवाद कार्यक्रम का आयोजन करेंगे. उनका साफ कहना है कि पार्टी चाहती है कि चिराग पासवान की बड़ी भूमिका चुनावों के दौरान और उसके बाद भी हो. चिराग पासवान की जो लोकप्रियता है समाज में, उसे नजरअंदाज कर हर बार एक छोटे दायरे में उन्हें समेटने की कोशिश की जाती है, इस ओर भी सांसद ने इशारा किया. इससे पहले चिराग पासवान खुद ही कह चुके हैं कि वो केंद्र की राजनीति में ज्यादा दिन तक नहीं रहेंगे.
बहुजन समाज के बड़े नेता के तौर पर उभरेंगे चिराग?
यानी कुल मिलाकर चुनावी साल में पार्टी अपने अस्तित्व और अपनी पहचान को और मजबूत और बड़ा करने की रणनीति बना कर कहीं ना कहीं गठबंधन के अंदर ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी चाहती है. ये इशारा पार्टी की ओर से कर दिया गया है. या यूं कहें कि एनडीए के अंदर भी अब प्रेशर पॉलिटिक्स की शुरुआत हो गई है. एलजेपीआर प्रदेश में एक बड़े बहुजन समाज का नेतृत्व करने की अपनी सोच को अमली जामा पहनाने में जुट गई है और बिहार चुनाव इसके लिए बिल्कुल सही और सटीक समय है.
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