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In Pics: RSS नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने जयपुर में की शस्त्र पूजा, बोले- 'देश का भविष्य कैसा हो इसके लिए...'
Vijayadashami 2024: विजयादशमी उत्सव के अवसर पर RSS के स्वयंसेवकों ने शुक्रवार को जयपुर में पथ संचलन निकाला. यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने शस्त्र पूजन किया.
जयपुर में सुरेश भैयाजी जोशी ने किया शस्त्र पूजन.
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विजयादशमी उत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को जयपुर में पथ संचलन निकाला.
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इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक त्रिवेणी नगर स्थित सामुदायिक केंद्र में एकत्रित हुए. यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने शस्त्र पूजन किया.
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उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति को जन्म के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता. जाति का निर्धारण जन्म के आधार पर होता है. क्या कोई बता सकता है कि हरिद्वार किस जाति का है? क्या बता सकता है कि 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं? क्या देश के कोने-कोने में स्थित 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं? जो लोग खुद को हिंदू मानते हैं और देश के सभी हिस्सों में रहते हैं.
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उन्होंने कहा, वे इन सभी को अपना मानते हैं फिर भेद कहां है? जिस तरह से राज्य की सीमाएं हमारे बीच कोई भेद (विभाजन) पैदा नहीं कर सकती हैं, उसी तरह जन्म के आधार पर चीजें हमें विभाजित नहीं कर सकती हैं. अगर कोई गलत धारणाएं हैं, तो उसे बदलना होगा, अगर कोई भ्रम या बेकार का अहंकार है, तो उसे खत्म करना होगा.
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, देश का भविष्य कैसा हो इसके लिए हमें सोचना होगा. जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए काम किया वो चले गए. अगर, हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं तो हमें आगे के लिए भी सोचना होगा. अपने लिए जीना क्या जीना है. देश के लिए जीना बहुत जरूरी है.
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सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, हमारे ही देश को स्वच्छ रखने के लिए अभियान चलाना पड़ता. देश के प्रधानमंत्री अभियान चलाते हैं. हमें अपने कर्तव्य पर चर्चा करनी चाहिए. हमेशा सरकार पर निर्भर होना सही नहीं है. समाज को आगे बढ़ना है तो हर महिला को मां के रूप में देखना होगा. आज के रावण कौन, कौरव कौन? भारत को विश्व गुरू बनना है. नियति में है तो उसके लिए काम करें, ये रावण का पुतला जलाने से कुछ नहीं होगा.
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बता दें आज RSS की स्थापना के 99 साल भी पूरे हो रहे हैं. वह विजयादशमी का ही दिन था जब 1925 में संघ की स्थापना हुई थी. विजयदशमी उत्सव संघ के लिए कई मायनों में अहम होता है. संघ प्रमुख के संबोधन में संघ के भविष्य के कार्यक्रम और नीतियों की स्पष्टता देखने को मिलती है.
Published at : 12 Oct 2024 01:26 PM (IST)
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