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Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि पर मां बागेश्वरी धाम में देशभर से पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु, खास है मान्यता

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कुदरगढ़ देवी धाम में 15 दिनों तक मेले का आयोजन किया गया है. हर दिन दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कुदरगढ़ देवी धाम में 15 दिनों तक मेले का आयोजन किया गया है. हर दिन दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

(सूरजपुर जिले में विराजमान मां बागेश्वरी मंदिर)

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छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला चारों तरफ से पहाड़ों और वनों की हरियाली से घिरा हुआ है. यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कई प्राचीन धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं. जिनकी अलग-अलग कहानी और रोचक मान्यताएं हैं. इन्हीं जगहों में से एक कुदरगढ़ देवी धाम भी है. यहां एक हजार फीट से ज्यादा ऊंची पहाड़ी पर मां बागेश्वरी विराजमान है.
छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला चारों तरफ से पहाड़ों और वनों की हरियाली से घिरा हुआ है. यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कई प्राचीन धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं. जिनकी अलग-अलग कहानी और रोचक मान्यताएं हैं. इन्हीं जगहों में से एक कुदरगढ़ देवी धाम भी है. यहां एक हजार फीट से ज्यादा ऊंची पहाड़ी पर मां बागेश्वरी विराजमान है.
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चैत्र नवरात्रि के मौके पर कुदरगढ़ में छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है और मां बागेश्वरी के द्वार पर माथा टेककर मन्नत मांगते है. मान्यता है कि मां बागेश्वरी के दरबार में जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद पूरी होती है. सूरजपुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर ओडगी ब्लॉक के कुदरगढ़ गांव में 1500 फीट की ऊंची पहाड़ की चोटी पर मां बागेश्वरी का धाम है.
चैत्र नवरात्रि के मौके पर कुदरगढ़ में छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है और मां बागेश्वरी के द्वार पर माथा टेककर मन्नत मांगते है. मान्यता है कि मां बागेश्वरी के दरबार में जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद पूरी होती है. सूरजपुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर ओडगी ब्लॉक के कुदरगढ़ गांव में 1500 फीट की ऊंची पहाड़ की चोटी पर मां बागेश्वरी का धाम है.
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मां बागेश्वरी के दर्शन करने के लिए 955 सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है, तब मां के दर्शन होते हैं. बता दें मां बागेश्वरी के दर्शन करने और मन्नत मांगने छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के श्रद्धालु कुदरगढ़ पहुंचते हैं. और 955 सीढ़ियों को लांघते हुए 1500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर वट वृक्ष के नीचे विराजमान मां बागेश्वर के सामने शीश झुकाते हैं.
मां बागेश्वरी के दर्शन करने के लिए 955 सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है, तब मां के दर्शन होते हैं. बता दें मां बागेश्वरी के दर्शन करने और मन्नत मांगने छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के श्रद्धालु कुदरगढ़ पहुंचते हैं. और 955 सीढ़ियों को लांघते हुए 1500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर वट वृक्ष के नीचे विराजमान मां बागेश्वर के सामने शीश झुकाते हैं.
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माता का दर्शन करने महाराष्ट्र के नागपुर से आई 78 साल की महिला श्रद्धालु सावित्री सुब्रमण्यम ने एबीपी न्यूज ने पूछा कि 900 से ज्यादा सीढियां, 78 साल की उम्र में कैसे चढ़ पाईं. इसपर उन्होंने कहा कि मुझे देवी ने शक्ति दी और मैं पहाड़ पर चढ़कर देवी के दर्शन पा चुकी हूं और नीचे उतर रही हूं. शरीर में किसी भी प्रकार का कोई दर्द नहीं हो रहा है. चढ़ते समय पांव भारी थे, लेकिन अब पूरा शरीर हल्का हो गया. बहुत खुशी हो रही है देवी की अपार कृपा पर जिन्होंने मुझे इतनी शक्ति दी.
माता का दर्शन करने महाराष्ट्र के नागपुर से आई 78 साल की महिला श्रद्धालु सावित्री सुब्रमण्यम ने एबीपी न्यूज ने पूछा कि 900 से ज्यादा सीढियां, 78 साल की उम्र में कैसे चढ़ पाईं. इसपर उन्होंने कहा कि मुझे देवी ने शक्ति दी और मैं पहाड़ पर चढ़कर देवी के दर्शन पा चुकी हूं और नीचे उतर रही हूं. शरीर में किसी भी प्रकार का कोई दर्द नहीं हो रहा है. चढ़ते समय पांव भारी थे, लेकिन अब पूरा शरीर हल्का हो गया. बहुत खुशी हो रही है देवी की अपार कृपा पर जिन्होंने मुझे इतनी शक्ति दी.
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चारों तरफ से हरे-भरे वनों और पहाड़ियों से घिरे मां बागेश्वरी धाम में पहुंचने के बाद हर भक्त एक अलग ही ताजगी महसूस करता है. हर तरफ बंदरों की टोलियां नजर आती है, जिन्हें देखने के बाद मन उत्साहित हो जाता है. 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़ने और उतरने के दौरान सीढ़ियों के रास्ते में प्रकृति की शुद्ध हवा चलती रहती है. इससे श्रद्धालुओं को अपनी थकान का पता ही नहीं चलता है.
चारों तरफ से हरे-भरे वनों और पहाड़ियों से घिरे मां बागेश्वरी धाम में पहुंचने के बाद हर भक्त एक अलग ही ताजगी महसूस करता है. हर तरफ बंदरों की टोलियां नजर आती है, जिन्हें देखने के बाद मन उत्साहित हो जाता है. 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़ने और उतरने के दौरान सीढ़ियों के रास्ते में प्रकृति की शुद्ध हवा चलती रहती है. इससे श्रद्धालुओं को अपनी थकान का पता ही नहीं चलता है.
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अम्बिकापुर से पहुंची 66 साल की महिला श्रद्धालु नारायणी दास ने माता के दर्शन करने के बाद सीढ़ियों से वापस लौटने के दौरान कहा यहां की प्रकृति और शांत वातावरण ने मन मोह लिया है और उन्हें सीढ़ी चढ़ने और उतरने में किसी तरह की थकावट नहीं हो रही है. मां के दर्शन के बाद आत्मा एकदम शांत हो गई है. कुदरगढ़ के पहाड़ में विराजी मां बागेश्वरी की महिमा को लेकर मान्यता है कि यहां कोई भी श्रद्धालु सच्चे दिल से नौकरी, व्यापार, धन, दौलत, सुख, समृद्धि, शांति की मन्नत मांगता है तो मां बागेश्वरी उनकी मुराद जरूर पूरी करती हैं. चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मां बागेश्वरी के दरबार में हर दिन 8 से 10 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नत मांगते है.
अम्बिकापुर से पहुंची 66 साल की महिला श्रद्धालु नारायणी दास ने माता के दर्शन करने के बाद सीढ़ियों से वापस लौटने के दौरान कहा यहां की प्रकृति और शांत वातावरण ने मन मोह लिया है और उन्हें सीढ़ी चढ़ने और उतरने में किसी तरह की थकावट नहीं हो रही है. मां के दर्शन के बाद आत्मा एकदम शांत हो गई है. कुदरगढ़ के पहाड़ में विराजी मां बागेश्वरी की महिमा को लेकर मान्यता है कि यहां कोई भी श्रद्धालु सच्चे दिल से नौकरी, व्यापार, धन, दौलत, सुख, समृद्धि, शांति की मन्नत मांगता है तो मां बागेश्वरी उनकी मुराद जरूर पूरी करती हैं. चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मां बागेश्वरी के दरबार में हर दिन 8 से 10 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नत मांगते है.
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वहीं चैत्र नवरात्रि के नव दिन अलग-अलग प्रदेशों से लगभग एक लाख श्रद्धालु मां बागेश्वरी धाम पहुंचते हैं. बता दें मां के दरबार में बलि प्रथा भी चलती है. अगर किसी श्रद्धालु द्वारा मानी मन्नत पूरी होती है तो वह खुशी से मां बागेश्वरी के धाम में बकरे की बलि चढ़ाता है. हर साल नवरात्रि के मौके पर माता के दरवाजे पर लगभग 50 हजार से ज्यादा बकरों की बलि दी जाती है.
वहीं चैत्र नवरात्रि के नव दिन अलग-अलग प्रदेशों से लगभग एक लाख श्रद्धालु मां बागेश्वरी धाम पहुंचते हैं. बता दें मां के दरबार में बलि प्रथा भी चलती है. अगर किसी श्रद्धालु द्वारा मानी मन्नत पूरी होती है तो वह खुशी से मां बागेश्वरी के धाम में बकरे की बलि चढ़ाता है. हर साल नवरात्रि के मौके पर माता के दरवाजे पर लगभग 50 हजार से ज्यादा बकरों की बलि दी जाती है.
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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कुदरगढ़ देवी धाम में 15 दिनों तक मेले का आयोजन किया गया है. हर दिन दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. कुदरगढ़ लोक न्यास ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पानी, भोजन, ठहरने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं. वहीं जगह-जगह पुलिस जवानों की तैनाती की गई है, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े.
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कुदरगढ़ देवी धाम में 15 दिनों तक मेले का आयोजन किया गया है. हर दिन दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. कुदरगढ़ लोक न्यास ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पानी, भोजन, ठहरने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं. वहीं जगह-जगह पुलिस जवानों की तैनाती की गई है, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े.

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