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ब्रह्मांड में अचानक होगी चांद से 10 गुना ज्यादा रौशनी, दो तारे टकराने वाले हैं, जानें कब होगा ये

वैज्ञानिकों ने 150 प्रकाश-वर्ष दूर दो सफेद बौने तारों की दुर्लभ जोड़ी खोजी है, जो 23 अरब साल बाद टकराकर एक विनाशकारी और चमकदार टाइप 1a सुपरनोवा विस्फोट में बदल जाएंगे.

वैज्ञानिकों ने 150 प्रकाश-वर्ष दूर दो सफेद बौने तारों की दुर्लभ जोड़ी खोजी है, जो 23 अरब साल बाद टकराकर एक विनाशकारी और चमकदार टाइप 1a सुपरनोवा विस्फोट में बदल जाएंगे.

करीब 23 अरब साल बाद टकराकर सुपरनोवा विस्फोट करेंगे.

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वैज्ञानिकों ने 150 प्रकाश-वर्ष दूर दो सफेद बौने तारों का एक दुर्लभ बाइनरी सिस्टम खोजा है, जो आने वाले समय में एक साथ टकराकर एक विस्फोटक सुपरनोवा में बदल जाएंगे.
वैज्ञानिकों ने 150 प्रकाश-वर्ष दूर दो सफेद बौने तारों का एक दुर्लभ बाइनरी सिस्टम खोजा है, जो आने वाले समय में एक साथ टकराकर एक विस्फोटक सुपरनोवा में बदल जाएंगे.
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ये सफेद बौने तारे धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिंच रहे हैं और 23 अरब वर्षों में ये एक-दूसरे से टकरा जाएंगे, जिससे एक विशाल सुपरनोवा विस्फोट होगा.
ये सफेद बौने तारे धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिंच रहे हैं और 23 अरब वर्षों में ये एक-दूसरे से टकरा जाएंगे, जिससे एक विशाल सुपरनोवा विस्फोट होगा.
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इन दोनों तारों का कुल द्रव्यमान सूर्य से 1.56 गुना ज्यादा है, जो इन्हें टाइप 1a सुपरनोवा के लिए आदर्श बनाता है. वर्तमान में ये तारे 14 घंटे में एक चक्कर पूरा करते हैं, लेकिन भविष्य में इनकी गति इतनी तेज हो जाएगी कि एक परिक्रमा केवल 30-40 सेकंड में पूरी होगी.
इन दोनों तारों का कुल द्रव्यमान सूर्य से 1.56 गुना ज्यादा है, जो इन्हें टाइप 1a सुपरनोवा के लिए आदर्श बनाता है. वर्तमान में ये तारे 14 घंटे में एक चक्कर पूरा करते हैं, लेकिन भविष्य में इनकी गति इतनी तेज हो जाएगी कि एक परिक्रमा केवल 30-40 सेकंड में पूरी होगी.
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टाइप 1a सुपरनोवा एक विशेष प्रकार का सुपरनोवा है, जो तब होता है जब एक सफेद बौना तारा अपने साथी तारे से ज्यादा द्रव्यमान खींचकर अंत में विस्फोट कर देता है.
टाइप 1a सुपरनोवा एक विशेष प्रकार का सुपरनोवा है, जो तब होता है जब एक सफेद बौना तारा अपने साथी तारे से ज्यादा द्रव्यमान खींचकर अंत में विस्फोट कर देता है.
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इस विस्फोट की चमक इतनी ज्यादा तेज होगी कि यह चंद्रमा से 10 गुना ज्यादा रोशनी फैलाएगा और पूरे आकाशगंगा को कुछ क्षणों के लिए उजागर कर देगा.
इस विस्फोट की चमक इतनी ज्यादा तेज होगी कि यह चंद्रमा से 10 गुना ज्यादा रोशनी फैलाएगा और पूरे आकाशगंगा को कुछ क्षणों के लिए उजागर कर देगा.
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ऐसा विस्फोट हर 500 वर्षों में हमारी आकाशगंगा में होता है और यह समय-समय पर आकाशगंगा में ब्राइटनेस का प्रमुख कारण बनता है.
ऐसा विस्फोट हर 500 वर्षों में हमारी आकाशगंगा में होता है और यह समय-समय पर आकाशगंगा में ब्राइटनेस का प्रमुख कारण बनता है.
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विस्फोट के चार चरण: 1. पहले चरण में एक तारा अपने साथी तारे से द्रव्यमान खींचेगा. 2.दूसरे चरण में तारे का कोर फटेगा और पदार्थ फैल जाएगा.
विस्फोट के चार चरण: 1. पहले चरण में एक तारा अपने साथी तारे से द्रव्यमान खींचेगा. 2.दूसरे चरण में तारे का कोर फटेगा और पदार्थ फैल जाएगा.
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विस्फोट के चार चरण:  तीसरे और चौथे चरण में यह पदार्थ दूसरे तारे से टकराएगा, जिससे एक बार फिर से विस्फोट होगा.
विस्फोट के चार चरण: तीसरे और चौथे चरण में यह पदार्थ दूसरे तारे से टकराएगा, जिससे एक बार फिर से विस्फोट होगा.
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अंत में दोनों तारे पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे और एक शानदार सुपरनोवा उत्पन्न होगा. इस विस्फोट से उत्पन्न ऊर्जा मानव निर्मित सबसे शक्तिशाली परमाणु बम से भी हज़ार ट्रिलियन गुना अधिक होगी.
अंत में दोनों तारे पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे और एक शानदार सुपरनोवा उत्पन्न होगा. इस विस्फोट से उत्पन्न ऊर्जा मानव निर्मित सबसे शक्तिशाली परमाणु बम से भी हज़ार ट्रिलियन गुना अधिक होगी.
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यह विस्फोट 23 अरब साल बाद होगा और तब तक पृथ्वी या हमारी आकाशगंगा का अस्तित्व समाप्त हो चुका होगा, इसलिए हमें इस विस्फोट से कोई खतरा नहीं होगा.
यह विस्फोट 23 अरब साल बाद होगा और तब तक पृथ्वी या हमारी आकाशगंगा का अस्तित्व समाप्त हो चुका होगा, इसलिए हमें इस विस्फोट से कोई खतरा नहीं होगा.

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