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Gaganyaan Mission के लिए चुने गए 4 एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग कहां और कैसे हुई है?
Gaganyaan Mission: इंडिया के स्पेस मिशन 'गगनयान' के लिए जिन 4 एस्ट्रोनॉट्स को चुना गया है, उन्हें खास किस्म की ट्रेनिंग दी गई है. आइए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
Gaganyaan Mission के लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का ऐलान मंगलवार को किया गया है.
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भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन 'गगनयान' के लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों के नाम आ चुके हैं. मंगलवार (27 फरवरी, 2024) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में इनके नामों की घोषणा की.
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गगनयान मिशन के लिए नामित अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं, जिन्हें पीएम ने 'अंतरिक्ष यात्री पंख' दिए.
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नामित एस्ट्रोनॉट्स में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के या तो विंग कमांडर हैं या फिर ग्रुप कैप्टन हैं जिन्हें टेस्ट पायलट के तौर पर काम करने का लंबा अनुभव है. ऐसे में समझा जा सकता है कि कुछ भी गड़बड़ होने की स्थिति में ये उसी हिसाब से फौरन एक्शन लेने के लिए पहले से ही (प्रशिक्षित) ट्रेन्ड हैं.
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कर्नाटक के बेंगलुरू में स्पेस एजेंसी के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी सेंटर पर फिलहाल इनकी ट्रेनिंग चल रही है. इसरो और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉस्मोस (Roscosmos) की इकाई ग्लैवकोसमोस (Glavkosmos) के बीच जून 2019 में इनकी ट्रेनिंग के लिए एक एमओयू साइन हुआ था, जबकि फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक इन्हें रूस के यूरी गैगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण दिया गया था.
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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी इन एस्ट्रोनॉट्स को 2024 के अंत में मिशन के लिए ट्रेन करेगी और इस बात की पुष्टि नासा के बिल नेल्सन ने दिल्ली में (2023 में) की थी. वैसे, इन ऐस्ट्रोनॉट्स का चयन आईएएफ के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में हुआ है.
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4 में से सिर्फ 3 ही गगनयान मिशन के हिस्से के तहत स्पेस में जाएंगे. 3 दिन के मिशन के बाद ये लोग पृथ्वी पर वापस लाए जाएंगे और तब इनकी लैंडिंग समुद्र में कराई जाएगी.
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पीएम मोदी के मुताबिक, "ये चार ऐसी ताकतें हैं जो देश के 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को समाहित करती हैं. 4 दशक बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार है और इस बार उलटी गिनती, समय और यहां तक कि रॉकेट भी हमारा है. मुझे गर्व और खुशी है कि गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में इस्तेमाल किए गए अधिकतर पुरजे भारत में बने हैं."
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दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2024 को गगनयान वर्ष का नाम दिया है. अगले साल यानी कि 2025 में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को साकार करने से पहले कई टेस्ट्स की योजना बनाई गई है. इसरो चीफ एस.सोमनाथ के अनुसार, 2024 इसरो के लिए गगनयान का वर्ष होगा क्योंकि यह 2025 में देश के मानव अंतरिक्ष मिशन को साकार करने के लिए विभिन्न परीक्षण और बाकी गतिविधियां करेगा.
Published at : 27 Feb 2024 09:30 PM (IST)
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