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दादी-नानी कैसे मनाती थीं करवाचौथ, तस्वीरों में देखिए कितना बदल गया यह त्योहार?
आज के दौर में जहां करवाचौथ मॉडर्न और सोशल मीडिया की चमक-दमक से जुड़ गया है. वहीं हमारी दादी-नानी के समय में यह त्योहार पूरी तरह परंपरा, सादगी और भावनाओं से जुड़ा होता था.
इस साल करवाचौथ का त्योहार 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा. वहीं करवाचौथ का त्योहार हमेशा से सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास रहा है. आज के दौर में जहां करवाचौथ मॉडर्न और सोशल मीडिया की चमक-दमक से जुड़ गया है. वहीं हमारी दादी-नानी के समय में यह त्योहार पूरी तरह परंपरा, सादगी और भावनाओं से जुड़ा होता था. उस समय यह त्यौहार बिना शोर-शराबे के प्रेम और आस्था के साथ मनाया जाता था. ऐसे में चलिए आज तस्वीरों के जरिए जानते हैं की दादी-नानी के समय में करवाचौथ कैसे मनाया जाता था और आज इसमें कितना बदलाव आ चुका है.
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दादी-नानी के समय में महिलाएं करवाचौथ के दिन घरों से निकलकर गांव की चौपाल या मोहल्ले के किसी आंगन में एक साथ इकट्ठा होती थी. इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर करवाचौथ की कहानी सुनतीं, गीत गाती और एक दूसरे के साथ वक्त बिताती थीं. दादी-नानी के समय में इस दिन महिलाओं के बीच अपनापन का अनोखा माहौल देखने को मिलता था.
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दादी-नानी के समय करवाचौथ से पहले महिलाएं अपनी सास से मिली सरगी की थाली के साथ दिन की शुरुआत करती थीं. थाली में फेनिया, पराठे, मिठाई, फल और सूखे मेवे भी रखे जाते थे. उस समय सरगी सिर्फ एक प्रकार का भोजन नहीं माना जाता था, बल्कि सास का अपनी बहू को दिया गया आशीर्वाद समझा जाता था.
Published at : 07 Oct 2025 02:00 PM (IST)
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