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केले के पत्ते पर ही खाना क्यों खाते थे हमारे पूर्वज, किसी और चीज पर क्यों नहीं?
Food On Banana Leaves: क्या आप जानते हैं कि जिस केले के पत्ते को हम साधारण समझते हैं, उसमें कैंसर से लड़ने वाला राज और एक अनोखा प्राकृतिक स्वाद छुपा है. आइए जानें कि लोग इसपर खाना क्यों खाते थे.
आज के दौर में जब हम महंगे बोन चाइना और डिजाइनर क्रॉकरी के पीछे भाग रहे हैं, तब हमारे पूर्वजों की वो साधारण सी दिखने वाली हरे पत्ते वाली थाली याद आती है. केले के पत्ते पर भोजन करना महज एक पुरानी रस्म नहीं थी, बल्कि यह कुदरत और सेहत के बीच का एक ऐसा तालमेल था जिसे आधुनिक विज्ञान आज जाकर समझ पा रहा है. आखिर क्या वजह थी कि सोने-चांदी के बर्तन रखने वाले राजा-महाराजा भी केले के पत्ते पर भोजन करना सबसे बड़ा सौभाग्य मानते थे? आइए जानें.
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पुराने समय में रसोई से लेकर आंगन तक जब खाने की महक फैलती थी, तो सबकी नजरें उन बड़े, चमकदार और मखमली हरे पत्तों पर टिकी होती थीं. पूर्वजों ने केले के पत्ते को किसी मजबूरी में नहीं, बल्कि इसकी बेजोड़ खूबियों की वजह से चुना था.
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सबसे पहली और बड़ी वजह थी इसकी 'सेल्फ-क्लीनिंग' क्षमता. केले के पत्ते पर कुदरत ने मोम की एक ऐसी बारीक परत चढ़ाई है जिसे बस थोड़े से पानी के छींटे मारकर पूरी तरह साफ किया जा सकता है.
Published at : 19 Dec 2025 12:15 PM (IST)
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