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जब दुनिया के मिडिल में है नहीं तो क्यों कहते हैं इसे 'मिडिल ईस्ट', किसने और क्यों दिया था यह नाम

Middle East Countries: मिडिल ईस्ट नाम भूगोल से ज्यादा राजनीति और रणनीति को दर्शाता है. लेकिन जब यह दुनिया के बीच में स्थिति नहीं है, फिर इसे मिडिल ईस्ट क्यों कहते हैं, चलिए जानते हैं.

Middle East Countries: मिडिल ईस्ट नाम भूगोल से ज्यादा राजनीति और रणनीति को दर्शाता है. लेकिन जब यह दुनिया के बीच में स्थिति नहीं है, फिर इसे मिडिल ईस्ट क्यों कहते हैं, चलिए जानते हैं.

अक्सर जब हम खाड़ी देशों या अरब देशों की बात करते हैं तो मिडिल ईस्ट शब्द सुनने को मिलता है. लेकिन क्या कभी यह सोचा है कि जब यह इलाका सच में दुनिया के बीच में है ही नहीं, तो इसे मिडिल ईस्ट यानी मध्य पूर्व क्यों कहा जाता है? पता है इसका जवाब भूगोल से ज्यादा राजनीति और यूरोप की सोच में छिपा है. चलिए समझते हैं.

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19वीं सदी में जब ब्रिटिश साम्राज्य का दबदबा पूरी दुनिया में था, उसी दौरान यह नाम प्रचलन में आया था. उस समय यूरोप अपनी सुविधा के हिसाब से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के नाम तय करता था.
19वीं सदी में जब ब्रिटिश साम्राज्य का दबदबा पूरी दुनिया में था, उसी दौरान यह नाम प्रचलन में आया था. उस समय यूरोप अपनी सुविधा के हिसाब से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के नाम तय करता था.
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यूरोप के सबसे पास वाले एशियाई क्षेत्र को उन्होंने निकट पूर्व यानी Near East कहा, वहीं एशिया के सबसे दूर वाले हिस्से, जैसे चीन और जापान को सुदूर पूर्व यानी Far East कहा गया.
यूरोप के सबसे पास वाले एशियाई क्षेत्र को उन्होंने निकट पूर्व यानी Near East कहा, वहीं एशिया के सबसे दूर वाले हिस्से, जैसे चीन और जापान को सुदूर पूर्व यानी Far East कहा गया.
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इन्हीं दोनों के बीच आने वाला अरब और खाड़ी क्षेत्र मिडिल ईस्ट कहलाया. यानि यह नाम असली भूगोल पर आधारित नहीं था, बल्कि यूरोप के दृष्टिकोण से बनाया गया था. खबरों की मानें तो इस शब्द को असली पहचान 1902 में अमेरिकी नौसेना रणनीतिकार अल्फ्रेड थायर महान ने दी थी.
इन्हीं दोनों के बीच आने वाला अरब और खाड़ी क्षेत्र मिडिल ईस्ट कहलाया. यानि यह नाम असली भूगोल पर आधारित नहीं था, बल्कि यूरोप के दृष्टिकोण से बनाया गया था. खबरों की मानें तो इस शब्द को असली पहचान 1902 में अमेरिकी नौसेना रणनीतिकार अल्फ्रेड थायर महान ने दी थी.
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उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल अरब और भारत के बीच के क्षेत्र को बताने के लिए किया था. उस समय ब्रिटिश भारत साम्राज्य का सबसे अहम हिस्सा था और ब्रिटेन के लिए यह इलाका रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था.
उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल अरब और भारत के बीच के क्षेत्र को बताने के लिए किया था. उस समय ब्रिटिश भारत साम्राज्य का सबसे अहम हिस्सा था और ब्रिटेन के लिए यह इलाका रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था.
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इसी वजह से इस शब्द को तेजी से लोकप्रियता मिली और धीरे-धीरे यह दुनिया भर में चलन में आ गया. दरअसल निकट पूर्व शब्द भूमध्य सागर के पूर्वी हिस्सों और तुर्की जैसे इलाकों के लिए प्रयोग किया जाता था.
इसी वजह से इस शब्द को तेजी से लोकप्रियता मिली और धीरे-धीरे यह दुनिया भर में चलन में आ गया. दरअसल निकट पूर्व शब्द भूमध्य सागर के पूर्वी हिस्सों और तुर्की जैसे इलाकों के लिए प्रयोग किया जाता था.
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वहीं सुदूर पूर्व शब्द एशिया के सुदूर छोर पर बसे देशों जैसे चीन और जापान के लिए. अब इनके बीच का इलाका, जिसमें आज के ईरान, सऊदी अरब, इराक, कतर, ओमान और यूएई जैसे देश आते हैं, उसे मिडिल ईस्ट नाम दे दिया गया.
वहीं सुदूर पूर्व शब्द एशिया के सुदूर छोर पर बसे देशों जैसे चीन और जापान के लिए. अब इनके बीच का इलाका, जिसमें आज के ईरान, सऊदी अरब, इराक, कतर, ओमान और यूएई जैसे देश आते हैं, उसे मिडिल ईस्ट नाम दे दिया गया.
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यानी यह बात साफ है कि मिडिल ईस्ट कोई सटीक भौगोलिक शब्द नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और रणनीतिक शब्द है. इसे सिर्फ यूरोप के नजरिए से गढ़ा गया था, ताकि इस क्षेत्र की पहचान तय की जा सके और पश्चिमी देशों को इसकी अहमियत समझाई जा सके.
यानी यह बात साफ है कि मिडिल ईस्ट कोई सटीक भौगोलिक शब्द नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और रणनीतिक शब्द है. इसे सिर्फ यूरोप के नजरिए से गढ़ा गया था, ताकि इस क्षेत्र की पहचान तय की जा सके और पश्चिमी देशों को इसकी अहमियत समझाई जा सके.

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