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बच्चे बन रहे हैं साइबर किडनैपिंग के शिकार, जानिए इससे जुड़ी जरूरी बातें

किडनैपिंग के बारे में हम सभी लोग जानते हैं,इसीलिए अपने परिवार और बच्चों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं. लेकिन इस इंटरनेट के युग में क्या आप साइबर किडनैपिंग के बारे में जानते हैं? जानिए क्या है ये

किडनैपिंग के बारे में हम सभी लोग जानते हैं,इसीलिए अपने परिवार और बच्चों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं. लेकिन इस इंटरनेट के युग में क्या आप साइबर किडनैपिंग के बारे में जानते हैं?  जानिए क्या है ये

साइबर किडनैपिंग

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साइबर किडनैपिंग का मतलब है एक ऐसा अपहरण जिसमें बदमाश इंटरनेट के जरिए बातचीत करके किसी शख़्स या बच्चे को खुद को कहीं दूर आइसोलेट करने या छिपने के लिए राजी कर लेता है. इसके बाद उसके पेरेंट्स या परिजनों से फिरौती मांगता है.
साइबर किडनैपिंग का मतलब है एक ऐसा अपहरण जिसमें बदमाश इंटरनेट के जरिए बातचीत करके किसी शख़्स या बच्चे को खुद को कहीं दूर आइसोलेट करने या छिपने के लिए राजी कर लेता है. इसके बाद उसके पेरेंट्स या परिजनों से फिरौती मांगता है.
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साइबर किडनैपर पीड़ित को इस हद तक प्रभावित कर लेते हैं कि वह खुद अपनी ऐसी तस्वीरें उनके साथ साझा कर देता है, जिससे लगता है कि वह वाकई किडनैप हुआ है. ऐसी तस्वीरों में पीड़ित खुद हाथ-पैर बांधकर और  मुंह पर पट्टी बांध लेते हैं. इसके बाद किडनैपर्स इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके फिरौती मांगते हैं
साइबर किडनैपर पीड़ित को इस हद तक प्रभावित कर लेते हैं कि वह खुद अपनी ऐसी तस्वीरें उनके साथ साझा कर देता है, जिससे लगता है कि वह वाकई किडनैप हुआ है. ऐसी तस्वीरों में पीड़ित खुद हाथ-पैर बांधकर और मुंह पर पट्टी बांध लेते हैं. इसके बाद किडनैपर्स इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके फिरौती मांगते हैं
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इस स्थिति में पैरेंट्स को इन फोटो को देखते ही लगता है कि अगर उन्होंने फिरौती नहीं दी तो अपहरणकर्ता उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साइबर किडनैपर्स पीड़ित के साथ भले ही फिजिकली मौजूद नहीं रहते, लेकिन उन्हें वीडियो कॉल या अन्य माध्यम से अपने वश में करके रखते हैं.
इस स्थिति में पैरेंट्स को इन फोटो को देखते ही लगता है कि अगर उन्होंने फिरौती नहीं दी तो अपहरणकर्ता उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साइबर किडनैपर्स पीड़ित के साथ भले ही फिजिकली मौजूद नहीं रहते, लेकिन उन्हें वीडियो कॉल या अन्य माध्यम से अपने वश में करके रखते हैं.
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एक्सपर्ट्स बताते हैं कि साइबर किडनैपर बहुत चालाक होते हैं. उनके निशाने पर आसानी से प्रभावित हो जाने वाले बच्चे या किशोर ही होते हैं. ये अपने टारगेट की पहचान उनकी सोशल मीडिया सर्फिंग के विश्लेषण के आधार पर करते हैं. इसके अलावा ये कॉल डाटा और बैंक रिकॉर्ड्स भी खंगाल लेते हैं.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि साइबर किडनैपर बहुत चालाक होते हैं. उनके निशाने पर आसानी से प्रभावित हो जाने वाले बच्चे या किशोर ही होते हैं. ये अपने टारगेट की पहचान उनकी सोशल मीडिया सर्फिंग के विश्लेषण के आधार पर करते हैं. इसके अलावा ये कॉल डाटा और बैंक रिकॉर्ड्स भी खंगाल लेते हैं.
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एबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक हाल दिनों में साइबर किडनैपिंग से जुड़े केसेज की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सामान्य किडनैपर्स के मुकाबले साइबर किडनैपिंग करने वाले अपराधी अक्सर जल्दी में रहते हैं और पीड़ित के परिजनों से फटाफट पैसा या फिरौती की रकम भेजने की मांग करते हैं. ये अपराधी पीड़ित की जान लेने की धमकी देने लगते हैं.
एबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक हाल दिनों में साइबर किडनैपिंग से जुड़े केसेज की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सामान्य किडनैपर्स के मुकाबले साइबर किडनैपिंग करने वाले अपराधी अक्सर जल्दी में रहते हैं और पीड़ित के परिजनों से फटाफट पैसा या फिरौती की रकम भेजने की मांग करते हैं. ये अपराधी पीड़ित की जान लेने की धमकी देने लगते हैं.
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विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पैर पसार रहा है, ऐसे अपराध की संख्या और बढ़ेगी. इस तरह के धोखेबाज या अपराधी वाइस सैंपल से लेकर AI से बनाई तस्वीर तक का धोखाधड़ी और उगाही के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पैर पसार रहा है, ऐसे अपराध की संख्या और बढ़ेगी. इस तरह के धोखेबाज या अपराधी वाइस सैंपल से लेकर AI से बनाई तस्वीर तक का धोखाधड़ी और उगाही के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
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एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए खुद को जागरूक करने की जरूरत है. किसी भी अनजान नंबर से फोन आने पर अच्छे से जांच-पड़ताल करना चाहिए. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आप सोशल मीडिया पर क्या शेयर कर रहे हैं, इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अपनी निजी जानकारी साझा करने से बिल्कुल बचना चाहिए. खासकर अपने बच्चों का नाम, पता, उनकी तस्वीर, घर का पता, पड़ोसी की जानकारी, बच्चों के स्कूल का नाम, अपनी कंपनी या कार्यस्थल का नाम जैसी चीजें तो नहीं शेयर करना चाहिए.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए खुद को जागरूक करने की जरूरत है. किसी भी अनजान नंबर से फोन आने पर अच्छे से जांच-पड़ताल करना चाहिए. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आप सोशल मीडिया पर क्या शेयर कर रहे हैं, इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अपनी निजी जानकारी साझा करने से बिल्कुल बचना चाहिए. खासकर अपने बच्चों का नाम, पता, उनकी तस्वीर, घर का पता, पड़ोसी की जानकारी, बच्चों के स्कूल का नाम, अपनी कंपनी या कार्यस्थल का नाम जैसी चीजें तो नहीं शेयर करना चाहिए.

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